मोबाइल बच्चों के लिए कितना हानिकारक है?
इसे सुनेंरोकेंआंकड़ों के मुताबिक 12 से 18 महीने की उम्र के बच्चों में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की बढ़ोतरी देखी गई है। ये स्क्रीन को आंखों के करीब ले जाते हैं और जिससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। 2. आंखें सीधे प्रभावित होने से बच्चों को जल्दी चश्मा लगने, आंखों में जलन और सूखापन, थकान जैसी दिक्कतेे हो रही हैं।
क्या बच्चे को मोबाइल देखना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंइस रिपोर्ट के जरिए WHO ने माता-पिता या अभिभावक को बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटॉप और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों से दूर रखने की हिदायत दी है. 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए : एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है. यानी उन्हें बिलकुल भी स्क्रीन के सामने नहीं रखना है.
छोटे बच्चे चिल्लाते क्यों हैं?
इसे सुनेंरोकेंशिशु को भूख लगने पर यदि कुछ देर दूध न दिया गया तो भी वह चिड़चिड़ा जाते हैं। फिर दूध देने पर भी नहीं पीते और तेज़ चिल्लाते जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं। जन्म से छह माह तक बच्चों को मां के दूध पर ही निर्भर होना चाहिए। कभी-कभी नवजात बच्चों की आंतों में संकुचन के अहसास से उन्हें हल्का दर्द होता है।
बच्चों को मोबाइल कैसे छुड़ाएं?
इसे सुनेंरोकेंअगर आपका बच्चा बहुत जिद्दी है और आसानी से नहीं मान रहा, तो आप एक ऐप की मदद से भी उसकी मोबाइल की लत छुड़ा सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद Cracked Screen Pranked नाम का ऐप डाउनलोड करें। इस ऐप में स्क्रीन क्रैक्ड की टाइमिंग सेट कर दें। इससे आपके मोबाइल की स्क्रीन क्रैक्ड नजर आएगी और बच्चा उसे छोड़ देगा।
रेडिएशन से क्या क्या हानि होती है?
इसे सुनेंरोकेंइसके साथ ही रेडिएशन से डायबिटीज, बीपी, सिर दर्द, सिर में झनझनाहट, नींद न आना, आंखों में ड्राइनेस, सहित कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी होने की आशंका होती है। मोबाइल रेडिएशन में माइक्रोवेव्स होती हैं, जो बॉडी के सेल्स में वाइब्रेशन करता है। यह वाइब्रेशन कोशिकाओं के अवयवों को नष्ट कर देता है।
अगर बच्चा ज्यादा रोए तो क्या करें?
इसे सुनेंरोकें2. ठीक बड़ों की तरह बच्चों को भी आपसे बात करनी होती है. अगर वो रोए तो उनसे मुस्कुराहट के साथ बात करते हुए चुप कराएं. उनके सामने हाथों से इशारे करें, उन्हें अहसास दिलाएं कि वो आपके लिए कितने जरूरी हैं
बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित कौन करता है माता पिता या टेलीविजन?
इसे सुनेंरोकेंइस बात का फैसला मां-बाप से बेहतर शायद ही कोई कर सकता हो. वहीं दूसरी ओर लगभग हर बच्चे के लिए उसके मम्मी-पापा ही पहले रोल मॉडल होते हैं. पैरेंट्स की छोटी से छोटी आदतें भी बच्चों पर बहुत गहरा प्रभाव डालती हैं. साइकोलॉजी की इमिटेशन थ्योरी से ये साबित भी होता है कि बच्चे सामाजिक व्यवहार अपने माता-पिता से ही सीखते हैं