आश्रय आश्रित सिद्धांत के प्रतिपादक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंआपेक्षिकता सिद्धांत अथवा सापेक्षिकता का सिद्धांत (अंग्रेज़ी: थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी), या केवल आपेक्षिकता, आधुनिक भौतिकी का एक बुनियादी सिद्धांत है जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने विकसित किया और जिसके दो बड़े अंग हैं – विशिष्ट आपेक्षिकता (स्पेशल रिलेटिविटी) और सामान्य आपेक्षिकता (जनॅरल रिलेटिविटी)।
धर्म का सिद्धांत किसका है?
इसे सुनेंरोकेंइनका लक्ष्य शुभ या भद्र का उत्पन्न करना है। इन दोनों में सिद्धांत ऐसी मान्यता है जिसे व्यवहार का आधार बनाना चाहिए। धर्म के संबंध में तीन प्रमुख मान्यताएँ हैं- ईश्वर का अस्तित्व, स्वाधीनता, अमरत्व।
उद्देश्य और सिद्धांत में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंउद्देश्यवाद (Teleology) के अनुसार प्रत्येक कार्य या रचना में कोई उद्देश्य, प्रयोजन या अंतिम कारण निहित रहता है जो उसके संपादनार्थ प्रेरणा प्रदान किया करता है। इसे प्रयोजनवाद, हेतुवाद और साध्यवाद भी कहते हैं। इसके विपरीत यंत्रवाद का सिद्धांत है। इसके अनुसार संसार की प्रत्येक घटना कार्य-कारण-सिद्धांत से घटती है।
हनी सिद्धांत किसका है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर : जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने निबंध ‘ऑन लिबर्टी’ में बहुत प्रभावपूर्ण तरीके से उठाया है। राजनीतिक सिद्धांत के विमर्श में इसे ‘हानि सिद्धांत’ कहा जाता है। हार्म सिद्धांत यह है कि किसी के कार्य करने की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का इकलौता लक्ष्य आत्म-रक्षा है।
अद्वैतवाद के प्रतिपादक कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंइन दोनों की मिश्रित रचना को द्वैतवाद कहा जाता है। इस सिद्धान्त के प्रथम प्रवर्तक मध्वाचार्य (1199-1303) थे।
ई बराबर एमसी स्क्वायर किसका सिद्धांत है?
इसे सुनेंरोकेंआइंस्टीन ने इस सूत्र के रूप में यह थ्योरी दी थी कि ऊर्जा को द्रव्यमान और द्रव्यमान को ऊर्जा में बदला जा सकता है। हालांकि, इस सूत्र पर सवाल उस समय खड़ा हुआ था कि द्रव्यमान से कितनी ऊर्जा रूपांतरित होगी और यह होगी भी या नहीं
कर्मफल का सिद्धांत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंधर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य को किए हुए शुभ या अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। कर्म का सिद्धांत अत्यंत कठोर है। जहां अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन को प्रगति की दिशा में ले जाते हैं, वहीं बुरे कर्म उसे पतन की ओर ले जाते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार मनुष्य को किए हुए शुभ या अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है
हमारा कर्म क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकर्म हिंदू धर्म की वह अवधारणा है, जो एक प्रणाली के माध्यम से कार्य-कारण के सिद्धांत की व्याख्या करती है, जहां पिछले हितकर कार्यों का हितकर प्रभाव और हानिकर कार्यों का हानिकर प्रभाव प्राप्त होता है, जो पुनर्जन्म का एक चक्र बनाते हुए आत्मा के जीवन में पुनः अवतरण या पुनर्जन्म की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं की एक प्रणाली की …
सिद्धांत में कब परिवर्तन किया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंसिद्धांत, सिद्धि का अंत है। यह वह धारणा है जिसे सिद्ध करने के लिए, जो कुछ हमें करना था वह हो चुका है और अब स्थिर मत अपनाने का समय आ गया है।
प्लेटो का न्याय सिद्धांत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंप्लेटो न्याय को मनुष्य आत्मा का एक अनिवार्य गुण मानता है तथा मनुष्य और राज्य में साम्य दिखाने के लिए यह प्रतिपादित करता है कि राज्य व्यक्ति का ही वृहत् रूप है। अतः राज्य के गुण और व्यक्ति के गुण समान हैं। व्यक्ति के तीन प्रमुख गुण होते हैं तृष्णा(appetite), शौर्य(spirit) तथा विवेक(reason)।
हानि सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति के कार्यों के कितने प्रकार है?
इसे सुनेंरोकें✎… हानि सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति के कार्यों के दो प्रकार होते हैं… स्व संबंध के कार्य वे कार्य होते हैं, जो व्यक्ति स्वयं करता है और जिसका प्रभाव उस पर स्वयं पर पड़ता है। पर संबंध के कार्य ऐसे कार्य होते हैं, इनका प्रभाव व्यक्ति के संपर्क में आने वाले अन्य व्यक्तियों पर भी पड़ सकता है
स्वतंत्रता से आपका क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंस्वतंत्रता आधुनिक काल का प्रमुख राजनैतिक दर्शन है। यह उस दशा का बोध कराती है जिसमें कोई राष्ट्र, देश या राज्य द्वारा अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने पर किसी दूसरे व्यक्ति/ समाज/ देश का किसी प्रकार का प्रतिबन्ध या मनाही नहीं होती। अर्थात स्वतंत्र देश/ राष्ट्र/ राज्य के सदस्य स्वशासन (सेल्फ-गवर्नमेन्ट) से शासित होते हैं।