लोक कला का अर्थ क्या है?
इसे सुनेंरोकेंलोक कला – स्थानीय समुदाय की समग्र कलात्मक गतिविधि, आमतौर पर ग्रामीण। रचनात्मकता के अलावा, जिसे लोक कला के लिए कला कहा जाता है, इसमें संगीत, नृत्य, किंवदंतियां, परियों की कहानियां, लोक कविता और लोक रीति-रिवाजों के पूरे कलात्मक पक्ष भी शामिल हैं।
लोक कला के कलाकार कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंआज भारतीय आदिवासी एवं लोक कलाओ को विश्व मे जो पहचान मिली है उस मे वेरियर एल्विन, स्टेला क्राम्रिश, कमला देवी चट्टोपाध्याय एवं पुपुल जयकर जैसे विद्वानो का बहुत बडा योगदान है। भारत में लगभग प्रत्येक सांस्कृतिक अन्चल की अपनी विशिष्ट आदिवासी एव्ं लोक कला है।
मध्य प्रदेश की लोक कला क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजैसे मिट्टी से कुंभ बनाने वाले कुंभकार, लोहे से गुजार बनाने वाले लोहार, तांबे से काम करने वाले ताम्रकार,लकडी का कार्य करने वाले सुतार, स्वर्ण का काम करने वाले सुनार, बाँस फोड़,बरगुंडा जिनगर,खटीक, पनिका, दर्जी लखेड़ा भरेव कसेरा,घडवा,छिपा,बुनकर सिलावट चितरे आदि जातियों परंपरागत रूप से प्रतिष्ठित हुई !24 सित॰ 2020
उत्तर प्रदेश की लोक कला क्या है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर प्रदेश की लोक कला और संस्कृति – लखनऊ की चिकनकारी चिकनकारी के विभिन्न पैटर्न मुरी, लेरची, कीलकांगन और बखिया हैं। इस शिल्प का आकर्षण शिल्प की सूक्ष्मता, समरूपता और उत्कृष्ट उत्कृष्टता के साथ-साथ सफेद कपड़े पर सफेद कढ़ाई के उपयोग में निहित है।
लोक कला के प्रसिद्ध चित्रकार कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंमहासुंदरी देवी मधुबनी चित्रकला की प्रसिद्ध कलाकार हैं। ‘पट्ट’ का अर्थ ‘कपड़ा’ होता है। यह ओड़िशा की पारम्परिक चित्रकला है। इस चित्रकला में सुभद्रा, बलराम, भगवान जगन्नाथ, दशवतार और कृष्ण के जीवन से संबंधित दृश्यों को दर्शाया जाता है
लोक कला से क्या आशय है मध्य प्रदेश की लोक कलाओं का वर्णन कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंशिल्प कला मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों में आदिवासी एवं ग्रामीण जनसंख्या का बाहुल्य होने के कारण विभिन्न तरह की शिल्प कलाओं की उत्पत्ति हुई है। मध्यप्रदेश में काष्ठ शिल्प की परंपरा अति प्राचीन है। प्रदेश में कोरकू एवं भील आदिवासी क्षेत्रों में काष्ठ शिल्प का महत्वपूर्ण विकास हुआ है
लोक कला कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकलमकारी, कांगड़ा, गोंड, चित्तर, तंजावुर, थंगक, पातचित्र, पिछवई, पिथोरा चित्रकला, फड़, बाटिक, मधुबनी, यमुनाघाट तथा वरली आदि भारत की प्रमुख लोक कलाएँ हैं
मध्य प्रदेश की लोक कला कितने भागों में विभाजित है?
इसे सुनेंरोकेंवर्तमान विभाजित मध्य प्रदेश में 50 जिले तथा 9 सम्भाग हैं
सामुलिया शिल्प कहाँ प्रसिद्ध है?
इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति एवं सभ्यता के विकास में मृत्तिका शिल्प का विशिष्ट योगदान रहा है। मानव जाति द्वारा प्राचीन काल से मिट्टी के शिल्प बनाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश में धार , झाबुआ , रीवा , शहडोल, बेतूल , मंडला क्षेत्रों में मिट्टी के खिलौने , मूर्तियां आदि बनाए जाते हैं
महाराष्ट्र की लोक कला कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंलावणी पारंपरिक नृत्य और गीत का मिश्रण है, जो मुख्य रूप से `ढोलक` की थाप पर किया जाता है। इस लोक नृत्य को नौ गज साड़ी नामक 9 गज की साड़ी पहनने वाली सुंदर महिलाओं द्वारा निष्पादित किया जाता है। पारंपरिक संगीत की धमाकेदार बीट्स पर महिलाएं झूमती हैं। ‘लावणी’ शब्द की उत्पत्ति ‘लावण्य’ से हुई है, जिसका अर्थ है सुंदरता
मध्यप्रदेश की प्रमुख लोक कलाएँ कौन सी हैं उनका वर्णन करते हुए प्रमुख विशेषताओं को विस्तार से लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंआदिवासियों द्वारा कंघियों पर अलंकरण गोदना भित्ति चित्रों का निर्माण किया जाता है। प्रदेश के श्योपुर कला ,बुधनी घाट, रीवा, मुरैना की खराद कला प्रसिद्ध है। खराद सागवान ,दूधी कदम्ब, गुरजेल, मेडला,सलाई खैर आदि वृक्षों की लकड़ी पर की जाती है। खराद कला में खिलौने एवं सजावट की सामग्री बनाई जाती है