प्र १३ हमें मनुष्य जीवन में कौन से गुणों को अपनाना है * इंसानियत के गुणों को मानवीय गुणों को सदगुणों को?
इसे सुनेंरोकेंइंसानियत । इंसानियत के गुण। दया, धर्म, दान, मानवता, वीरता ,प्रेम आदि ऐसे गुण हैं कि अगर इनमें से अगर एक का भी अभाव आपसे मानव होने की संज्ञा छीन लेगा।
इंसान का धर्म क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमानव सेवा करना मानव धर्म है तो वहीं राष्ट्र के प्रति समर्पित होना राष्ट्र धर्म है। एक धर्म गृहस्थ का भी है। धार्मिक व्यक्ति वह है, जो प्रेम, शांति और करुणा को जीवन में महत्व देता है। जो अपने खाने की चिंता तो दूर अपने साथ-साथ न जाने कितने लोगों का उद्धार करता है।
धर्म निरपेक्षता का मूलमंत्र क्या है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव है 1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। 2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
मनुष्य में कौन कौन से गुण होने चाहिए?
ये 8 गुण जिन लोगों में होते हैं उन्हें मिलती है प्रसिद्धि, सभी…
- बुद्धि
- कुलीन या अच्छा व्यवहार करने वाला
- मन का संयम रखने वाला
- ज्ञान
- पराक्रमी यानी बहादुर
- कम बोलने वाला
- क्षमता के अनुसार दान
- दूसरों का उपकार याद रखने वाले
सच्ची मानवता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमानवता ही मनुष्यता की सच्ची परिभाषा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य चाहे तो प्राणी जगत का रक्षक भी बन सकता और भक्षक भी। किंतु असली इंसान वहीं है जिसके भीतर दया का भाव हो।
जीवन का धर्म क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसंस्कृति में जीवन का मूलाधार धर्म है। यह भी कह सकते हैं कि धर्म संस्कृति का प्राण है। धर्म एक ऐसा व्यापक शब्द है जो समाज का इतिहास और जीवन की भूमिका प्रस्तुत करने में पूरी तरह समर्थ है। संस्कृति में जीवन का मूलाधार धर्म है।
इंसान का सबसे बड़ा धर्म क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंईसाई धर्म – ईसाई धर्म को दुनिया का सबसे बड़ा धर्म माना जाता है क्योंकि पूरी दुनिया में 31 फ़ीसदी आंकड़ा ईसाई धर्म का पालन करने वाले लोगों का है. 2.2 अरब से भी अधिक लोग ईसाई धर्म का पालन करते हैं. इस्लाम धर्म – दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में इस्लाम धर्म का नाम दूसरे नंबर पर आता है.
धर्मनिरपेक्ष राज्य से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंएक धर्मनिरपेक्ष राज्य अपने सभी नागरिकों के साथ धर्म की चिंता किए बिना समान व्यवहार करने का दावा करता है, और एक नागरिक के लिए उनके धार्मिक विश्वासों, संबद्धता या अन्य प्रोफाइल वाले लोगों की कमी के आधार पर तरजीही उपचार से बचने का दावा करता है।
भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य क्यों कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: अनुच्छेद 25 के अनुसार भारत के सब नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है। 3. प्रस्तावना में धर्म निरपेक्ष शब्द का प्रयोग :-42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्म निरपेक्ष शब्द अंकित करके भारत को स्पष्ट रूप से धर्म-निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है।
धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई?
इसे सुनेंरोकेंधर्म की उत्पत्ति का मुख्य आधार मानव जीवन से है अर्थात जब से मनुष्य की उत्पत्ति हुई है इसके साथ-साथ ही धर्म की उत्पत्ति हुई है। मानना उचित है क्योंकि धर्म मानव जीवन में ही पाया जाने वाला एक मानवीय गुण है। ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक दृष्टिकोण से धर्म की उत्पत्ति हुई है। धीरे-धीरे इनका विकास हुआ।
धर्म का आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंधर्म के पांच आधार है ज्ञान, प्रेम, न्याय, समर्पण और धीरज। प्रत्येक मनुष्य का जन्म इन 5 आधारों को प्राप्त करने के लिए होता है।
अच्छे विचार मानवता के लिए क्यों आवश्यक है?
इसे सुनेंरोकेंधर्म मनुष्य में मानवीय गुणों के विचार का स्रोत है, जिसके आचरण से वह अपने जीवन को चरितार्थ कर पाता है। मानवता के लिए न तो पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है और न ही भावना की, बल्कि सेवा भाव तो मनुष्य के आचरण में होना चाहिए। जो गुण व भाव मनुष्य के आचरण में न आए, उसका कोई मतलब नहीं रह जाता है।
समाज के भाव ग्रस्त लोगों की सेवा करना क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंसेवा भाव से परिपूर्ण होकर ही हम अन्य लोगों के सामने मिसाल कामय कर सकते हैं, जिससे पूरे समाज को उत्थान व तरक्की के मार्ग पर सामूहिक रूप से आगे बढ़ाया जा सके। सेवा व्यवहार ही मनुष्य की पहचान बनाता है और उसकी नि:स्वार्थ भावना को चमकाता है। -सेवा मानव की ऐसी सर्वोत्तम भावना है, जो मानव को सच्चा मानव बनाती है।
निस्वार्थ भाव से सेवा करने के क्या लाभ होगा अपने विचार लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: धामपुर : दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी का मूलमंत्र है। नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। हमें अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें।
मनुष्य में कितने प्रकार के गुण होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंरतनपुरा (मऊ) : प्रत्येक मनुष्य के अंदर 3 प्रकार के गुण होते हैं सतो गुण, रजो गुण एवं तमो गुण जिस मनुष्य के अंदर सतो गुण की प्रधानता होती है। वह सात्विक विचारों का होता है। जिस मनुष्य के अंदर रजो गुण होता है वह विलासी प्रवृत्ति का होता है एवं जिस मनुष्य के अंदर तमो गुण की प्रधानता होती है वह तामसी विचार का होता है।