कवि कौन सा दंड पाना चाहता है और क्यों?

कवि कौन सा दंड पाना चाहता है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंकवि अपने लिए ऐसा दंड चाहता है जिससे वह प्रिय को भूल जाए। टिप्पणी कीजिए; गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल। गरबीली गरीबी: गरीबी में प्राय: मनुष्य हताश निराश और दुखी होकर अपना धैर्य खो बैठता है। उसका निश्छल प्रेम कवि के दु:ख को कम करने का काम तो करता है पर वह उसे सहन नहीं कर पाता।

ममता के बादल से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकें(घ) ममता के बादल- ममता का अर्थ है-अपनत्व या स्नेह। जिसके साथ अपनत्व हो जाता है, उसके लिए सब कुछ न्योछावर किया जाता है। कवि की प्रियतमा उससे अत्यधिक स्नेह करती है। ‘भर भर फिर आता है-इससे कवि का आशय है कि जिस प्रकार पानी का रहट बाल्टियों को खाली करके फिर भर देता है ठीक वही स्थिति मेरी है

सहर्ष स्वीकारा है कविता का मूल भाव क्या है लिखें?

इसे सुनेंरोकें’सहर्ष स्वीकारा है’ शीर्षक कविता मुक्तिबोध की एक सशक्त रचना है। इसमें कवि ने अपने जीवन के समस्त खट्टे-मीठे अनुभवों, कोमल-तीखी अनुभूतियों तथा सुख-दु:ख की स्थितियों को इसलिए सहर्ष स्वीकार कर लिया है क्योंकि वह इन सबके साथ अपने प्रिय को जुड़ा पाता है। कवि को अपना भविष्य अंधकारमय प्रतीत होता है, भविष्य उसे डराता है।

कवि अपने लिए क्या दंड चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि अपने लिए क्या दंड चाहता है? कवि अपने लिए प्रिय से यह दंड चाहता है कि वह इस संसार से अदृश्य स्थान पर जाकर गायब हो जाए। कवि प्रिय की बहलाती सहलाती आत्मीयता को बरदाश्त भी नहीं कर पाता फिर भी उसे सहर्ष स्वीकार कर लेता है। कवि भाव प्रवणता की मन:स्थिति में है।

मीठे पानी का सोता से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: मीठे पानी का सोता टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग है। इसमें कवि ने अपने हृदय के अंदर स्नेह तथा प्रेम की भावनाओं को मीठे पानी का सोता कहा है। उसने स्नेह तथा प्रेम की भावनाओं की झरने से तुलना की है।

ममता के बादल में कौनसा अलंकार है *?

इसे सुनेंरोकें’सहर्ष स्वीकारा’ में अनुप्रास अलंकार है।

गजानन माधव ने ईश्वर को भूल जाने पर अपने लिए क्या दंड निश्चित करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- कवि कहता है कि वह अपने प्रिय को पूरी तरह भूल जाना चाहता है। उसके वियोग के अंधकार को अपने शरीर और हृदय पर झेलते हुए वह उस अंधकार में नहा लेना चाहता है ताकि उसके प्रिय की कोई स्मृति उसके हृदय में न रहे

जाने क्या रिश्ता है जाने क्या नाता है?

इसे सुनेंरोकेंव्याख्या कीजिए : जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है दिल में क्या झरना है? मीठे पानी का सोता है भीतर वह, ऊपर तुम मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है! रहने का रमणीय यह उजेला अब सहा नहीं जाता है।

कवि कहाँ लापता होना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर — (घ) अंधेरी गुफाओं में