प्राकृतिक चिकित्सा का क्या महत्व है?

प्राकृतिक चिकित्सा का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक चिकित्सा, यह एक ऐसी अनूठी प्रणाली है जिसमें जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक तलों के रचनात्मक सिद्धांतों के साथ व्यक्ति के सद्भाव का निर्माण होता है। इसमें स्वास्थ्य के प्रोत्साहन, रोग निवारक और उपचारात्मक के साथ-साथ फिर से मज़बूती प्रदान करने की भी अपार संभावनाएं हैं।

अनेक रोगों को पैदा करने वाला द्रव्य कौन सा है?

इसे सुनेंरोकें(३) उभयहेतु- वे पदार्थ जो सारे शरीर में वात आदि दोषों को कुपित करते हुए भी किसी धातु या अंग विशेष में ही विशेष विकार उत्पन्न करते हैं, उभयहेतु कहलाते हैं।

जल चिकित्सा में किसका उपयोग किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंजलचिकित्सा में जल का प्रयोग एकांग तथा सर्वांग के लिये शीतल तथा उष्ण आवेष्टन (packings)। आर्द्रवस्त्रावेष्टन चिकित्सा व्यवसाय का एक महत्व का अंग हो गया है। 2. उष्ण वायु तथा बाष्पस्नान – टर्किश बाथ उष्णवायुस्नान का उत्तम उदाहरण है।

प्राकृतिक चिकित्सा और योग विज्ञान क्या है?

इसे सुनेंरोकेंप्राकृतिक चिकित्सा में नियमित जीवन शैली के साथ संतुलित आहार, योग और प्राणायाम का उपयोग करते हुए शरीर को रोग रहित बनाया जाता है। डिप्लोमा इन नेचरोपैथी एंड योग का पाठ्यक्रम तीन वर्ष का है। इसमें छह माह का व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है

प्राकृतिक चिकित्सा में पंचमहाभूत का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंपञ्चभूत (पंचतत्व या पंचमहाभूत) भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) – ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। लेकिन इनसे बने पदार्थ जड़ (यानि निर्जीव) होते हैं, सजीव बनने के लिए इनको आत्मा चाहिए।

गांधीजी ने प्राकृतिक चिकित्सा पर कौन कौन सी पुस्तकें लिखी?

इसे सुनेंरोकेंउसने उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा के जनक लुई कूने की पुस्तक ‘दि न्यू साइंस ऑफ हीलिग’ और जुस्ट की पुस्तक ‘रिटर्न टू नेचर’ को पढ़ने का परामर्श दिया। इन दोनों पुस्तकों का अध्ययन कर गाधी जी स्वास्थ्य सबधी प्राकृतिक दलीलों से बहुत प्रभावित हुए

विजातीय द्रव्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसकता है कि यह लेख जरूर भौतिक विज्ञान से जुड़ा होगा क्योंकि मैं भी जब तक प्राकृतिक चिकित्सा से नहीं जुड़ा था तो मेरी सोच भी ऐसी ही थी। परन्तु यहां यह विजातीय द्रव्य हमारे भौतिक शरीर की एक अशुद्धि है और जैसा कि नाम से ही विदित होता है कि विजातीय द्रव्य मतलब भिन्न जाति का द्रव्य ।