ग्यारस के दिन चावल खाने से क्या होता है?

ग्यारस के दिन चावल खाने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंचावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है।

ग्यारस के दिन चावल क्यों नहीं बनाते?

इसे सुनेंरोकेंमान्यता है कि जिस दिन महर्षि का शरीर धरती में समा गया था, उस दिन एकादशी थी। यही वजह कि चावल और जौ को जीव मानते हैं इसलिए एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त के सेवन करने जैसा माना जाता है।

ग्यारस के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

आइए जानें क्या वर्जित है ग्यारस/एकादशी के व्रत के दिनों में…

  • करें इन चीजों का त्याग : – इस व्रत में नमक, तेल, चावल अथवा अन्न वर्जित है।
  • मांस खाना। मसूर की दाल का त्याग।
  • चने का शाक। कोदों का शाक।
  • मधु (शहद) ।
  • दूसरी बार भोजन करना।
  • व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए।
  • इस दिन क्रोध, मिथ्या भाषण का त्याग करना चाहिए।

ग्यारस के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंनिर्जला एकादशी पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन, मूली और सेम नहीं खानी चाहिए। निर्जला एकादशी पर पान खाना भी वर्ज‍ित है। मान्‍यता है क‍ि इस द‍िन श्री हर‍ि को पान का भोग लगाया जाता है। इस वजह से एकादशी पर पान खाने की मनाही है

ग्यारस के दिन क्या करना चाहिए?

आइए जानें एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें…

  1. एकादशी के दिन क्रोध न करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।
  2. एकादशी Ekadashi का व्रत-उपवास करने वालों को दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
  3. रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

क्या एकादशी में चावल नहीं खाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंचावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है। एकादशी व्रत में मन का पवित्र और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है