संसार में सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइस संसार में एक ही तथ्य सत्य है और वह है इस धरती पर जन्म लेने वाले की अनिवार्यत: मृत्यु होना। यानी जो जन्मा है, वह मरेगा अवश्य ‘जातस्य हि धुवो मृत्यु:। ‘ इसमें पशु, पक्षी कीट, पतंग, अनुरक्त और विरक्त का किसी प्रकार का कोई भेद नहीं है
जीवन का सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंjivan kya hai | jivan ka satya kya hai. “इक छोटी सी जिंदगी का कुछ इस तरह फसाना है, कागज की कश्ती को समुंदर में बहाना है।” जी हां दोस्तों हमारा जिंदगी भी बिल्कुल कागज की कश्ती के माफिक है। जो संसार सागर में बही जा रही है। लेकिन भैतिक सुखों की खोज में हम अपने वास्तविक मार्ग से भटक गए हैं
1 सत्य क्या होता है उसका रूप कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: सत्य बहुत भोला-भाला सीधा-सादा, जो कुछ भी आँखों से देखा बिना नमक मिर्च लगाये बौल दिया। यही तो सत्य है। सत्य दृष्टि का प्रतिबिम्ब है, ज्ञान की प्रतिलिपी है और आत्मा की वाणी है
आध्यात्मिक सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमानव देह में एक चिरन्तन आध्यात्मिक सत्य छिपा हुआ है। जब तक वह मिल नहीं जाता इच्छाएं उसे इधर से उधर भटकाती है, दु:ख के थपेड़े खिलाती रहती हैं। सत्यामृत की प्राप्ति नहीं होती तब तक मनुष्य बार-बार जन्मता और मरता रहता है, न कोई इच्छा तृप्त होती है न आत्म सन्तोष होता है
मृत्यु का सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनीतिशास्त्रों में कहा गया है कि जीवन और मरण इस संसार का शाश्वत सत्य है। जो जन्म लेता है, उसकी एक-न-एक दिन मृत्यु होनी ही है। एक दिन महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे
मनुष्य का अंतिम सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइटारसी| व्यक्ति का काल जीवन का अंतिम सत्य है। जो उत्पन्न हुआ है वह निश्चित ही काल का शिकार होगा। कितना भी बड़ा धर्मात्मा पुण्यात्मा क्यों न हो जो आया है उसे जाना ही होगा लेकिन यह बात भी परम सत्य है कि मनुष्य के कर्म उसे मृत्यु के बाद भी संसार में जीवित रखते हैं।
जिंदगी का अंतिम सत्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनीतिशास्त्रों में कहा गया है कि जीवन और मरण इस संसार का शाश्वत सत्य है। जो जन्म लेता है, उसकी एक-न-एक दिन मृत्यु होनी ही है
सत्य का स्वरूप क्या है Kseeb?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: सत्य बहुत भोला-भाला, बहुत ही सीधा-सादा होता है। जो कुछ भी अपनी आँखों से देखा, बिना नमक-मिर्च लगाए बोल दिया – यही सत्य है। सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है