एकलव्य का क्या हुआ?
इसे सुनेंरोकेंएकलव्य अकेले ही सैकड़ों यादव वंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान महाभारत युद्ध में भीम के हाथ से मारा गया था
एकलव्य के मां बाप कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंनिषादराज हिरण्यधनु और उनके सेनापति गिरिबीर की वीरता विख्यात थी। राजा राज्य का संचालन आमात्य (मंत्रि) परिषद की सहायता से करता था। द्रोणभक्त एकलव्य निषादराज हिरण्यधनु के पुत्र थे। उनकी माता का नाम रानी सुलेखा था।
द्रोणाचार्य की मौत कैसे हुई?
इसे सुनेंरोकेंइस पाप के कारण छल से मारा गया द्रोणाचार्य को, इस योद्धा ने लिया था अपने पूर्वजन्म का प्रतिशोध
महाभारत का एकलव्य कौन था?
इसे सुनेंरोकेंएकलव्य महाभारत का एक पात्र है। वह राजा हिरण्य धनु नामक निषाद के पुत्र थे। एकलव्य का मूल नाम अभिद्युम्न था। एकलव्य को अप्रतिम लगन के साथ स्वयं सीखी गई धनुर्विद्या और गुरुभक्ति के लिए जाने जाते है।
एकलव्य ने अंगूठा दान क्यों किया?
इसे सुनेंरोकेंइस सामाजिक विभाजन को हवा देने वाले संगठन भी कौन है यह सब जानते हैं। द्रोणाचार्य ने जिस अर्जुन को महान सिद्ध करने के लिए एकलव्य का अंगूठा कटवा दिया था, उसी अर्जुन के खिलाफ उन्हें युद्ध लड़ना पड़ा और उसी अर्जुन के पुत्र की हत्या का कारण भी वे ही बने थे और उसी अर्जुन के साले के हाथों उनकी मृत्यु को प्राप्त हुए थे।
अंगूठा कटने के बाद एकलव्य का क्या हुआ?
इसे सुनेंरोकेंकहते हैं कि अंगूठा कट जाने के बाद एकलव्य ने तर्जनी और मध्यमा अंगुली का प्रयोग कर तीर चलाने लगा। यहीं से तीरंदाजी करने के आधुनिक तरीके का जन्म हुआ। निःसन्देह यह बेहतर तरीका है और आजकल तीरंदाजी इसी तरह से होती है। वर्तमान काल में कोई भी व्यक्ति उस तरह से तीरंदाजी नहीं करता जैसा कि अर्जुन करता था।
द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरु दक्षिणा में क्या मांगा?
इसे सुनेंरोकें1/6यह थी गुरुदक्षिणा कौरव व पांडव की शिक्षा पूरी होने पर गुरु द्रोणाचार्य ने कहा कि तुम पांचाल देश के राजा द्रुपद को बंदी बनाकर मेरे पास लाओ। राजा द्रुपद को बंदी बनाकर लाना ही मेरी गुरुदक्षिणा है
एकलव्य जयंती कब है?
इसे सुनेंरोकेंइस दौरान 31 दिसंबर को वीर एकलव्य की जयंती मनाने का निर्णय लेने के साथ ही इसे सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गई। बैठक को संबोधित करते हुए सतीश साहनी ने कहा कि निषाद समाज देश का राज परिवार रहा है। देश के आजादी की लड़ाई में निषाद समाज के लोगों ने अपना अग्रणी योगदान किया था
महाभारत के सबक यदि हम द्रोणाचार्य की बात करे तो कौन सा सबक ठीक लगता हैं द्रोणाचार्य की तरह?
द्रोणाचार्य ऋषि भारद्वाज तथा घृतार्ची नामक अप्सरा के पुत्र तथा धर्नुविद्या में निपुण परशुराम के शिष्य थे। कुरू प्रदेश में पांडु के पुत्रों तथा धृतराष्ट्र पुत्रों के वे गुरु थे। महाभारत युद्ध के समय वह कौरव पक्ष के सेनापति थे।…
द्रोणाचार्य | |
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माता-पिता: | भरद्वाज ऋषि घृतार्ची अप्सरा |
जीवनसाथी: | कृपि |
संतान: | अश्वत्थामा |
द्रोणाचार्य पूर्व जन्म में कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंआठ वसुओं में से एक ‘द्यु’ नामक वसु ने ही भीष्म के रूप में जन्म लिया था। देवगुरु बृहस्पति ने ही द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था। अश्वत्थामा रुद्र के अंशावतार थे।