उत्पादन शून्य होने पर अल्पकाल में स्थिर लागत क्या होती है?

उत्पादन शून्य होने पर अल्पकाल में स्थिर लागत क्या होती है?

इसे सुनेंरोकेंस्थिर लागतें उद्यमी को उत्पादन बंद होने की दशा में भी वहन करनी पड़ती हैं जबकि अल्पकाल में उत्पादन बंद कर देने पर परिवर्तनशील लागतों को पूर्णतः समाप्त किया जा सकता है। TFC रेखा Y-अक्ष के एक बिन्दु से शुरू होती है जिसका तात्पर्य है कि उत्पादन शून्य होने की दशा में भी उत्पादक को TFC के बराबर उत्पादन व्यय वहन करना पड़ेगा।

घटते प्रतिफल की अवस्था में कुल उत्पादन एवं सीमांत उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंइससे स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों का अनुकूलतम प्रयोग होने लगता है। तीसरी अवस्था में, स्थिर आगत की तुलना में परिवर्तनशील आगत इतनी अधिक हो जाती है कि उत्पादन प्रक्रिया में बाधा होने लगती है और इसलिए कुल उत्पाद (TPP) घटने लगता है, क्योंकि सीमांत उत्पाद (MPP) ऋणात्मक हो जाता है।

वस्तु की लागत से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंउत्‍पादन से तात्‍पर्य किसी वस्‍तु का निर्माण करना या उत्‍पादित करना, लागत से आशय उस वस्‍तु को निर्मित करने में हुए व्‍यय की राशि को लागत कहते हैं।

स्थिर लागत से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंस्थिर लागत वह लागत होती है जो उत्पादन की मात्रा के साथ घटती-बढ़ती नहीं है। इसे पूरक लागत भी कहते हैं।

क्या दीर्घकाल में उत्पत्ति के साधन स्थिर हो सकते हैं अगर नहीं तो क्यों स्पष्ट कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंदीर्घकाल में कोई भी लागत स्थिर नहीं हो सकती, क्योंकि दीर्घकाल वह अवधि है जिसमें सभी आगतें परिवर्ती हो जाती है। उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए। अल्पकालीन उत्पादन फलन: जहाँ उत्पादन के कुछ साधन स्थिर होते हैं। दीर्घकालीन उत्पादन फलन: जहाँ उत्पादन के सभी साधनों की पूर्ति परिवर्तन शील होती हैं।

क्या स्थिर लागत कुछ लंबे समय तक बनी रह सकती है?

इसे सुनेंरोकेंफर्म किसी भी पूँजी (संयंत्र आदि) को बदल सकती हैं। अतः ऐसी अवस्था में स्थिर लागतों का कोई अर्थ नहीं रहता | फर्म की परिवर्तनशील लागत ही उसकी कुल लागत बन जाती है । इससे दीर्घकाल में लागत वक्रों के बराबर आकार पर प्रभाव पड़ता है।

पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पैमाने के स्थिर प्रतिफल से अभिप्राय है कि जब उत्पादन के साधनों की मात्रा इस प्रकार बढ़ाई जाती है कि साधनों का अनुपात अपरिवर्तित रहता है, उत्पादन उसी समान अनुपात में बढ़ता है जिसमें साधनों में वृद्धि होती है। अन्य शब्दों में, साधनों की मात्रा दोगुनी होती है। उत्पादन भी दोगुना हो जाता है।

उत्पादन का सक्रिय साधन क्या है?

इसे सुनेंरोकेंश्रम श्रम (Labour) उत्पादन का दूसरा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं सक्रिय साधन है। इसका महत्त्व इसलिए अधिक है, क्योंकि यह समस्त आर्थिक क्रियाओं को आदि और अन्त (साधन और साध्य) दोनों हैं। अर्थशास्त्र में श्रम से मनुष्य के उन सभी शारीरिक और मानसिक प्रयत्नों का बोध होता है, जो धनोपार्जन के उद्देश्य से किए जाते हैं।

लागत से आप क्या समझते हो?

इसे सुनेंरोकेंलागत की अवधारणा किसी वस्तु के उत्पादन या सेवा की प्रदायगी मे आने वाले सभी प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यय शामिल होते है। किसी वस्तु की लागत मे मुख्य रूप से दो प्रकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यय एवं अदृश्य लागतें शामिल होती है इन्हें लागत के तत्व कहते है।

पूर्ति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजब किसी वस्तु की बाज़ार में मांग की जाती है तो जिस व्यक्ति के पास यह वस्तु होती है वह निश्चित लाभ कमाने के लिए उस वस्तु को बाज़ार में बेचता है। ऐसा करने पर उसे उसके बदले लागत एवं लाभ मिलता है। अतः इसी तरह खरीददारों को निश्चित मूल्य पर सामान बेचकर उनकी ज़रूरतों को पूरा करना ही पूर्ति कहलाती है।

स्थिर लागत का उदाहरण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंजैसे – भूमि, भवन, मशीन आदि। इन स्थिर साधनों पर होने वाले खर्च को ही स्थिर लागत कहते हैं। इस लागत पर उत्पादन के स्तर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर यह समान रहता है।

रिचर लागत दीर्घकाल में क्यों समाप्त हो जाती है?

इसे सुनेंरोकेंदीर्घकाल में उत्पादन के कारकों में परिवर्तन होना निश्चित होता है। सभी उत्पादन कारक अल्पकालीन अवधि के लिये ही प्रभावी होते हैं, इसलिये दीर्घकालीन अवधि के कारकों के स्थिर न रहने के कारण स्थिर लागत दीर्घकाल में समाप्त हो जाती है।