राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की क्या भूमिका है?

राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की क्या भूमिका है?

इसे सुनेंरोकेंनारी वह सनातन शक्ति है जो अनादि काल से उन सामाजिक दायित्वों का वहन करती आ रही हैं, जिन्हें पुरुषों का कंधा सम्भाल नहीं पाता. माता पिता के रूप में नारी ममता, करुणा, वात्सल्य, सह्रदयता जैसे सद्गुणों से यूक्त हो. किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उस राष्ट्र की आधी आबादी की भूमिका की महत्ता से इनकार नही किया जा सकता हैं.

महिला सशक्तिकरण क्या है इन हिंदी?

इसे सुनेंरोकेंमहिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएं शक्तिशाली बनती है जिससे वह अपने जीवन से जुड़े सभी फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है।

स्त्री शिक्षा से आप क्या समझते हैं भारत में स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइए?

इसे सुनेंरोकेंअगर महिलाएँ शिक्षित हों तो वे अपने घरों की सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। स्त्री शिक्षा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय विकास में मदद करता है। आर्थिक विकास और एक राष्ट्र के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में मदद करता है। महिला शिक्षा एक अच्छे समाज के निर्माण में मदद करती है।

नारी शिक्षा का वर्तमान समय में क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंएक नारी जीवनपर्यन्त बेटी, बहन, पत्नी एवं माँ जैसी किरदारों का निर्वाह करती है और इनका निर्वाह करते हुए जो कठनाईया आती हैं उनका सामना करने का आत्मबल उन्हे शिक्षा प्रदान करती है। शिक्षा नारी को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होती है और उसमे स्वालम्बन के गुणों का भी विकास करती है।

19 वीं सदी में भारत में महिलाओं की शिक्षा के विकास में कौन कौन सी बाधाएँ आई?

इसे सुनेंरोकेंतत्कालीन भारतीय समाज में महिलाओं से सम्बंधित अनेक सामाजिक कुरीतियाँ विद्यमान थीं, जैसे – बाल-विवाह, शिशु-हत्या, सती-प्रथा, विधवाओं की दयनीय दशा तथा निम्न-स्तरीय नारी शिक्षा आदि. आरम्भ में ब्रिटिश सरकार ने इनमें से कुछ बुराइयों को समाप्त करने के लिए कुछ कदम उठाये.

भारत में लड़कियों की शिक्षा की दृष्टि से कौन से साल का महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंलड़कियों के शिक्षा पर न केवल सामाजिक न्याय की दृष्टि से बल देना चाहिए बल्कि इसलिए भी महत्व दिया जाए कि इससे सामाजिक परिवर्तन को गति मिलती है। 6. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1968) : 14 वर्ष तक के बालक और बालिकाओं के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

शिक्षा का समाज पर क्या प्रभाव है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा व सामाजिक सुधार एवं प्रगति-शिक्षा समाज के व्यक्तियों को इस योग्य बनाती है कि वह समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों ग़लत परम्पराओं के प्रति सचेत होकर उसकी आलोचना करते है और धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हेाता जाता है। शिक्षा समाज के प्रति लेागों को जागरूक बनाते हुये उसमें प्रगति का आधार बनाती है।

स्त्री शिक्षा के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण क्या है?

शिक्षा महिलाओं और बच्चों को कैसे सशक्त बनाती है?

इसे सुनेंरोकेंशिक्षा से लड़कियों और महिलाओं को अधिक ज्ञान, कौशल, आत्मविश्वास और क्षमता प्राप्त होती है, जिससे उनकी खुद की जीवन संभावनाएं बेहतर होती हैं और बदले में एक शिक्षित महिला अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रदान करती है। शिक्षा एक महिला को अपने जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम बनाती है।