बाल अपराध क्या है इसके कारणों का प्रकाश डालिए?
इसे सुनेंरोकेंजब किसी बच्चे द्वारा कोई कानून-विरोधी या समाज विरोधी कार्य किया जाता है तो उसे किशोर अपराध या बाल अपराध कहते हैं। कानूनी दृष्टिकोण से बाल अपराध 8 वर्ष से अधिक तथा 16 वर्ष से कम आयु के बालक द्वारा किया गया कानूनी विरोधी कार्य है जिसे कानूनी कार्यवाही के लिये बाल न्यायालय के समक्ष उपस्थित किया जाता है।
बाल अपराध समस्या से निपटने के लिए क्या सावधानियां बरतनी जा सकती है?
इसे सुनेंरोकेंअसामाजिक और विचलनकारी व्यवहार का बढ़ना किसी भी स्वस्थ समाज का लक्षण नहीं है। यह समाज के सुख–शान्ति और समृद्धि के लिये खतरे का घंटी के समान है, जो अन्ततोगत्वा देश के विकास की गति को भी अवरूद्ध करती है। अतः बाल-अपराध के लिये उतरदायी कारकों की तलाश कर, इसके रोकथाम का उपाय करना समाज और राष्ट्र का कर्तव्य बनता है।
धारा 364a क्या है?
इसे सुनेंरोकेंSection 364 in the Indian Penal Code जो कोई किसी व्यक्ति का अपहरण या अपहरण करता है ताकि उस व्यक्ति की हत्या की जा सके या उसे इस प्रकार निपटाया जा सके कि उसे हत्या का खतरा हो, उसे आजीवन कारावास या कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकती है।
व्यपहरण और अपहरण में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंव्यपहरण का अपराध अनवरत नहीं है, यह उसी समय पूर्ण हो जाता है जिस समय किसी व्यक्ति को विधिपूर्ण संरक्षकता से दूर किया जाता है। अपहरण का अपराध एक अनवरत या निरंतर चालू रहने वाला अपराध है। जब इसे किसी विशिष्ट आशय से किया जाता है तभी अपराध होता है।
अपराध का मुख्य कारण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअपराध के कारणों पर आज भी अनुसंधान जारी है। बहुत से विद्वान अपराध के लिए व्यक्ति एवं परिस्थिति को जिम्मेवार ठहराते हैं। जबकि कुछ विद्यान अपराध के लिए समाज एवं व्यक्ति दोनों को ही अपराध के लिए समान रूप से उत्तरदायी मानते हैं। इस सब के अतिरिक्त मानसिक कारणों को भी अपराध का का कारण माना जाता है।
अपराध की विशेषता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसदरलैण्ड के अनुसार अपराध की परिभाषा; “अपराध सामाजिक मूल्यों के लिये ऐसा घातक कार्य है जिसके लिये समाज दण्ड की व्यवस्था करता है। डैरो के अनुसार; अपराध एक ऐसा कार्य है जो कि देश मे कानून के द्वारा निषिद्ध हो और जिसके लिए दण्ड निर्धारित हो।
निम्नलिखित में से कौन अपराधियों के लिए एक सुधारात्मक उपाय है?
इसे सुनेंरोकेंआज समाज की निश्चित धारणा है कि अपराध, शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार का रोग है, इसलिए अपराधी की चिकित्सा करनी चाहिए। उसे समाज में वापस करते समय शिष्ट, सभ्य, नैतिक नागरिक बनाकर वापस करना है। अतएव कारागार यातना के लिए नहीं, सुधार के लिए है।
अपराध रोकने में परिवार और समाज की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंअपराध रोकने में परिवार की सबसे बड़ी भूमिका है, क्योंकि व्यक्ति पर अपने परिवार का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। साथ ही समाज में जैसे लोगों को देखेगा, वह वैसा ही व्यवहार करेगा। यदि किसी महिला के साथ कोई घटना होती है तो परिवार को उसका साथ देना चाहिए, ताकि वह खुलकर अपनी समस्या को उनके सामने रख सके।
धारा 364 में जमानत कैसे मिलती है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय दंड संहिता की धारा 364 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए उसका व्यपहरण या अपहरण करे या उस व्यक्ति को ऐसे व्यवस्थित करे कि उसे अपनी हत्या होने का ख़तरा हो जाए, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कठिन कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक …
धारा 364 की सजा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 364 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:- सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कठोर कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
अपहरण करने पर कौन सी धारा लगती है?
इसे सुनेंरोकेंअपहरण का अपराध भी व्यपहरण के अपराध से संबंधित एक अपराध है। जिसका उल्लेख भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में किया गया है।
अपहरण कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंज्यादातर लोग जिसे किडनैपिंग कहते हैं भारतीय दंड संहिता के अनुसार यह दो प्रकार के अपराध होते हैं। पहला अपहरण और दूसरा व्यपहरण।
इसे सुनेंरोकेंफ्राईड लैडन ” जब किसी बालक के व्यक्तित्व मे ऐसी अभिवृत्ति विकसित होती है, जो उसे सामाजिक नियमों व कानूनों को तोड़ने की प्रेरणा देती है तब उसे बाल अपराधी कहेंगे। जेम्स के अनुसार ” बाल अपराधी का तात्पर्य उस बच्चे से है जो आदत के रूप मे अपनी निराशाओं को समाज विरोधी कार्यों अथवा हिंसा के रूप मे प्रदर्शित करता है।