स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था?

स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंभारत को आध्यात्म से जोड़ने वाले महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जन्म आज ही के दिन 12 जनवरी सन् 1863 को कोलकाता में हुआ था. उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था और उनके पिता पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे.

स्वामी विवेकानंद का नाम कैसे पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंदरअसल, यह नाम उनके गुरु ने नहीं, बल्‍क‍ि किसी और ने दिया था. दरअसल,स्वामी जी को अमेरिका जाना था. लेकिन इसके लिये उनके पास पैसे नहीं थे. उनकी इस पूरी यात्रा का खर्च राजपूताना के खेतड़ी नरेश ने उठाया था और उन्होंने ही स्वामी जी को स्‍वामी विवेकानंद का नाम भी दिया.

शिकागो व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने क्या संदेश दिया था विस्तार से लिखिए PDF?

इसे सुनेंरोकें✎… शिखागो के व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने प्रेम एवं मानवता का संदेश दिया था। स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागों शहर में 11 सितंबर 1893 को हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक अविस्मरणीय व्याख्यान दिया था। आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है।

स्वामी विवेकानंद का दूसरा नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंSwami Vivekanand (स्वामी विवेकानंद) का आज जन्मदिन है। 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में स्वामी जी का जन्म हुआ था। शिकागो में 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म संसद के दौरान सबसे दमदार भाषण देकर उन्होंने भारत की पहचान को विश्व में स्थापित कर दिया था। यह तो आप जानते ही हैं कि Swami Vivekanand का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्ता था।

स्वामी जी के गुरु कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंस्वामी विवेकानंद के गुरु का नाम रामकृष्ण परमहंस था।

स्वामी विवेकानंद ने किसकी स्थापना की थी?

इसे सुनेंरोकेंभारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे।

शिकागो से स्वामी विवेकानंद का पत्र का क्या उद्देश्य है?

इसे सुनेंरोकेंधर्म और विशेषकर हिन्दू धर्म के बारे में अज्ञान, अंधविश्वास तथा विकृत धारणाओं का निराकरण करना स्वामी विवेकानंद के समक्ष यह कितना कठिन काम था। अत: उनके मन में यदाकदा निराशा का झोंका आ जाना स्वाभाविक ही था। परंतु जब से मैं यहां आया हूं, पता नहीं क्यों, मन बड़ा उदास रहता है; कारण मुझे मालूम नहीं।

शिकागो व्याख्यान का महत्व विशेष क्यों है वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंअगर बात शिकागो व्याख्यान के सारांश की करे तो स्वामी जी ने सबसे पहले सहिष्णुता पर भारतीय सोच को सबके सामने रखा और कहा की हम सब धर्मों को वास्तविक एवं सम्मान की नजर से देखते है। और इसी के साथ स्वामी जो ने सबको संसार को सहिष्णुता/सहनशीलता का पालन करने का पाठ पढ़ाया।