ज्यादा खा लेने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंआप में से अधिकांश लोग इस बात को जानते होंगे कि अधिक भोजन आपके स्वास्थ्य को अस्थिर कर सकता है, क्योंकि अधिक भोजन लेने से आपका पेट पूरी तरह से भर जाता है। जिस कारण पेट में भोजन को पचने में काफी दिक्कत होती है। ये पूरी शरीर की संरचना में परिवर्तन का कारण भी बन सकता है।
खाना खड़े होकर क्यों नहीं खाना चाहिए?
इसे सुनेंरोकें1- दरअसल जब हम खड़े होकर भोजन करते हैं तो उस समय हमारी आंते सिकुड़ जाती हैं और भोजन ठीक से नहीं पच पाता है. इसका असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है और हमें अपच, कब्ज, एसिडिटी की समस्या होती है. 2- अगर आप खड़े होकर खाने से भोजन सीधा आंतों में चला जाता है. ऐसे में कई बार पेट में दर्द व सूजन की समस्या हो जाती है.
पेट भर के खाना खाने से क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंबहुत ज्यादा पेट भर जाए तो भी हमारे लिए नुकसानदेह हो जाता है। कभी-कभी भरपेट खाकर पेट में गैस बनने लग जाती है और कभी-कभी डायरिया भी हो जाता है । इसलिए भोजन करते समय संयम से काम लेना बहुत जरूरी होता है।
पेट का भारीपन कैसे ठीक करें?
खाना खाने के बाद पेट के भारीपन की समस्या से छुटकारा दिला देंगे ये घरेलू नुस्खे, ऐसे करें इस्तेमाल
- सौंफ और मिश्री
- अलसी के बीज अलसी के बीज भी आपकी इस समस्या का समाधान चुटकियों में कर देंगे।
- तुरंत खाएं हरी इलायची चाय का स्वाद बढ़ाने के अलावा हरी इलायची पेट के भारीपन की समस्या को भी जड़ से खत्म करती है।
- शहद भी करेगा फायदा
पेट के ऊपरी हिस्से में भारीपन क्यों रहता है?
इसे सुनेंरोकेंपेट के भारीपन का सबसे आम कारण बदहजमी है। एक ऐसी समस्या, जिसकी शुरुआत भोजन को निगलने से होती है। बचपन में हमें कहा जाता है कि हमें अपने भोजन को कम से कम 32 बार चबाना चाहिए। इसका मकसद था कि हमारा भोजन उन रसों के साथ ठीक तरह से मिल जाए, जो हमारी पचान क्रिया में सहायक हैं।
क्या होता है बेल जार का तापमान?
बेल जार में रिकार्ड किया गया तापमान बढ़ गया है। तापमान में हुए इस परिवर्तन का मुख्य कारण बेल जार में कैद हुई ऊष्मा है। बेल जार के कांच ने ऊष्मा को रोक लिया। ग्रीनहाउस में यही होता है।
क्या कहते हैं ग्रीनहाउस गैसें?
पृथ्वी के चारों ओर ऊष्मा को कैद करने के लिये शीशे की ऐसी कोई चादर नहीं होती है, परन्तु वायुमण्डलीय गैसों में उपस्थित ग्रीनहाउस गैसें ऊष्मा को अवशोषित करती हैं तथा बेल जार के शीशेे की ही भाँति पृथ्वी की सतह पर ऊष्मा को रोक लेती हैं। अतः इस प्रकार से उत्पन्न हुई गर्मी को ही ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ कहते हैं।
क्या हैं हिमनदों की चादरें?
हिमनद या बर्फ की चादरें लाखों वर्षों के हिमपात के बिना पिघले लगातार एकत्र होने से बनीं, जिनमें जलवायु से जुड़े कई संकेत छिपे हैं। पुरातात्विक जलवायु वैज्ञानिक (अतीत की जलवायु का अध्ययन करने वाले) इन हिमनदों में कैद हुए वायु के बुलबुलों एवं धूल के कणों का विश्लेषण करके अतीत की जलवायु प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
बेल जार में रिकार्ड किया गया तापमान बढ़ गया है। तापमान में हुए इस परिवर्तन का मुख्य कारण बेल जार में कैद हुई ऊष्मा है। बेल जार के कांच ने ऊष्मा को रोक लिया। ग्रीनहाउस में यही होता है।
पृथ्वी के चारों ओर ऊष्मा को कैद करने के लिये शीशे की ऐसी कोई चादर नहीं होती है, परन्तु वायुमण्डलीय गैसों में उपस्थित ग्रीनहाउस गैसें ऊष्मा को अवशोषित करती हैं तथा बेल जार के शीशेे की ही भाँति पृथ्वी की सतह पर ऊष्मा को रोक लेती हैं। अतः इस प्रकार से उत्पन्न हुई गर्मी को ही ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ कहते हैं।
हिमनद या बर्फ की चादरें लाखों वर्षों के हिमपात के बिना पिघले लगातार एकत्र होने से बनीं, जिनमें जलवायु से जुड़े कई संकेत छिपे हैं। पुरातात्विक जलवायु वैज्ञानिक (अतीत की जलवायु का अध्ययन करने वाले) इन हिमनदों में कैद हुए वायु के बुलबुलों एवं धूल के कणों का विश्लेषण करके अतीत की जलवायु प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।