स्वसहायता समूह में निर्णय कौन करता?

स्वसहायता समूह में निर्णय कौन करता?

इसे सुनेंरोकेंये किसी अन्य के ऊपर निर्भर नहीं रहते है, बल्कि ये अपनी सहायता स्वयं (खुद) करते है। जैसा कि इसका नाम है, स्वयं सहायता यानि जो अपनी सहायता खुद करते है। इस प्रकार के समूह में 10 से 20 सदस्य होते है, ये सभी सदस्य स्वेछा से इसमें शामिल हो सकते है। इसमें चयनित सभी सदस्य एक समान आय वर्ग के होते है।

स्वयं सहायता समूह कब तक चलेगा?

इसे सुनेंरोकेंउ. योजना की अवधि स्वयं सहायता समूह गठन की संभावना व फेंजिंग पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए समूह गठन की संभावना फेज 3 साल के लिए है तो प्रारंभिक 3 वर्षों में समूहों के ऋण लिंकेज तथा आजीविका संवर्धन के लिए उसके बाद के 2 साल और लगेंगे। इस तरह परियोजना स्वत: 5 साल तक चलेगी।

स्वयं सहायता समूह का बैंक लिंकेज कार्यक्रम कब शुरू हुआ?

इसे सुनेंरोकेंयह मिशन भारत सरकार की ग्रामीण गरीबी दूर करने की प्रमुख योजना है। 2011 में स्थापित इस मिशन का मार्च 2018 तक 29 राज्यों और 5 संघशासित प्रदेशों के 584 जिलों के 4456 ब्लॉकों में प्रसार हो चुका है। यह मिशन ग्रामीण महिलाओं को कृषि एवं गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में आजीविका अपनाने में मदद कर रहा है।

समूह की महिलाओं को क्या क्या लाभ मिलेगा?

इसे सुनेंरोकेंपुष्टाहार उत्पादन इकाइयों के जरिये चार हजार महिलाओं को सीधे रोजगार सुलभ होगा। यह इकाइयां इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम (आईसीडीएस) के तहत प्रदेश के 600 ब्लाकों में सहायक पुष्टाहार सामग्री का वितरण करेंगी। सरकार की इस पहल से स्वयं सहायता समूहों को सालान पांच हजार करोड़ रुपये का व्यापार करने का अवसर मिलेगा।

महिला सहायता समूह क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस मिशन के तहत, विभिन्न वर्ग और जाति की गरीब महिलाएं स्वयं सहायता समूहों और उनके संघों में शामिल होती हैं, जो अपने सदस्यों को उनकी आय और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वित्तीय,आर्थिक और सामाजिक विकास सेवाएं प्रदान करते हैं।

समूह के क्या क्या फायदे हैं?

स्वयं सहायता समूह के फायदे

  • गरीबों के बीच बचत आदत विकास करने का माध्यम
  • वृहत पैमाने पर संसाधन की उपलब्धता|
  • एक स्थान से बेहतर तकनीकी एवं बौद्धिक ज्ञान वर्द्धन की सुविधा |
  • अपने क्षेत्र में ही आपातकालीन, उपयोग एवं उत्पादन कार्य हेतु कर्ज की उपलब्धता|
  • विभिन्न प्रकार का प्रोत्साहन सहायता का उपलब्ध होना|

समूह में बुक कीपर का क्या काम होता है?

इसे सुनेंरोकेंग्राम संगठन में लगातार होने वाले आर्थिक लेन-देन को संबंधित पुस्तकों में गणांक सूत्र के अनुसार लिखने के ढंग को ग्राम संगठन बुक कीपर/ लेखपाल/ पुस्तक संचालक कहते हैं। स्वयं सहायता समूह में हिसाब किताब सही रहता है।

समूह में कितना पैसा मिलता है?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत चल रहे हैं स्वयं सहायता समूह को Bank द्वारा एक लाख से लेकर 1 लाख 50 हजार तक की धनराशि CCL के रूप में प्रदान करती है। बैंक इस धनराशि पर सामान्य कर्ज से कुछ कम ब्याज दर पर ब्याज लगाती है। इस धनराशि पर बैंक द्वारा 7.50% से लेकर 9.50% तक का ब्याज लगाती है।

एक गांव में कितने समूह बन सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- एक गाँव में अनेक समूह बनाये जा सकते हैं, परन्तु एक व्यक्ति एक से अधिक समूह का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक समूह का सदस्य बनता है तो संभवतः वह सभी समूह में बचत राशि जमा नहीं कर सकता है और सभी समूहों से ली गई ऋण राशि भी लौटा नहीं सकता।

समूह में कितने पैसे मिलते हैं?

इसे सुनेंरोकेंलखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश की स्वयं सहायता समूह की 58 हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए उन्हें प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में बन रहे शौचालयों के देख-रेख की कमान सौंपी जाएगी. इसके बदले में सरकार की ओर से उन्हें 6 हजार रुपये का मानदेय हर माह दिया जाएगा.

महिला समूह कैसे बनाएं?

इसे सुनेंरोकेंसभी महिलाओं के आधार कार्ड ,बैंक खाता ,पासपोर्ट साइज फोटो आदि होना आवश्यक है ! समूह के गठन के लिए एक स्वयं सहायता समूह के नाम से आपको अपने नजदीकी बैंक में खाता खोलना होगा ! यह खाता अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सचिव के नाम से खोला जाता है ! अन्य महिलाएं समूह में कार्यकत्री रूप में कार्य करती हैं !

समूह सखी का वेतन कितना है?

इसे सुनेंरोकेंस्वयं सहायता समूह में नियुक्त समूह के सखियों को राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत मानदेय दिया जाता है समूह सखी को समूह में कराए जाने वाले कामों के अनुसार उनको वेतन दिया जाता है या वेतन 1500 से लेकर ₹6000 तक हो सकता है।

समूह सखी की कितनी सैलरी है?

इसे सुनेंरोकेंसमूह सखी (Samuh Sakhi)को मिलने वाला मानदेय स्वयं सहायता समूह में नियुक्त समूह के सखियों को राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत मानदेय दिया जाता है समूह सखी को समूह में कराए जाने वाले कामों के अनुसार उनको वेतन दिया जाता है या वेतन 1500 से लेकर ₹6000 तक हो सकता है।