कृषि विपणन की क्या समस्याएं हैं?

कृषि विपणन की क्या समस्याएं हैं?

इसे सुनेंरोकेंकृषि विपणन की कमियां परन्तु अभी हाल में जो बाजार व्यवस्था है इसमें मध्यस्थों की संख्या जरुरत से अधिक है, जिसके कारण किसानों से उपभोक्ताओं तक कृषि उत्पादों के पहुंचने तक उनकी कीमत में कई गुना वृद्धि हो जाती है. उपभोक्ता बाजार में जो भाव चुकाते है उसकी तुलना में किसानों को बहुत कम दाम मिलता हैं.

किस प्रकार की कृषि में फसल का उत्पादन बाजार में बेचने के लिए क्या जाता है?

इसे सुनेंरोकेंरोपण कृषि व्यापक क्षेत्र में की जाती है जो अत्यधिक पूँजी और श्रमिकों की सहायता से की जाती है। इससे प्राप्त सारा उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि महत्त्वपूर्ण रोपण फसले हैं।

भारत में कृषि उत्पादों के विपणन की क्या क्या समस्याएं और दोष है?

इसे सुनेंरोकेंकृषि-विपणन का सबसे बड़ा दोष मध्यस्थ है, क्योंकि गाँवों से लेकर मण्डियों तक मध्यस्थ के रूप में दलाल, आढ़तिया, फुटकर व्यापारी आदि फैले रहते हैं, जो कृषकों से मधुर व्यवहार के साथ उन्हें अपनी चालाकी का शिकार बनाते हैं । अनुमानतः 50 प्रतिशत विक्रय मूल्य की राशि मध्यस्थों की जेबों में जाती है।

भारत में कृषि उत्पादन के बाजारों को कौन नियंत्रित करता है?

इसे सुनेंरोकेंसही उत्तर राज्यों द्वारा अधिनियमित कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम है। राज्य सरकार के अधीन कृषि उपज मंडी समिति (APMC) अधिसूचित कृषि उपज और पशुधन को नियंत्रित करती है।

रेशा प्राप्त करने के लिए कौन सी फसल उगाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंअलसी के तने से उच्च गुणवत्ता वाला रेशा प्राप्त किया जाता है व रेशे से लिनेन तैयार किया जाता है।

किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी?

इसे सुनेंरोकेंउन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार जैव-उर्वरक और जैविक खेती के साथ पारंपरिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इस कार्यक्रम के तहत चार लाख से अधिक हेक्टेयर की पहचान की गई है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि अब 2022 आने में सप्ताह भर की देरी है.

स्थानान्तरित कृषि क्या है इससे जुड़ी प्रमुख समस्याओं की विवेचना कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंआम तौर पर १० से १२ वर्ष, और कभी कभी ४०-५० की अवधि में जमीन का पहला टुकड़ा प्राकृतिक वनस्पति से पुनः आच्छादित हो कर सफाई और कृषि के लिये तैयार हो जाता है। झूम कृषि भी एक प्रकार की स्थानान्तरी कृषि ही है। इसके पर्यावरणीय प्रभावों को देखते हुए भारत के कुछ हिस्सों में इस पर प्रतिबन्ध भी आयद किया गया है।

भारत में बारानी कृषि की समस्याएँ क्या हैं?

इसे सुनेंरोकेंघटते भूजल स्तर, कमजोर पड़ते प्राकृतिक जलचक्र तथा बदलती जलवायु की स्थिति में हाइड्रोजैल बारानी तथा सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में फसलों के लिए वरदान साबित हो सकता है। अतः बारानी तथा सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों के किसानों के बीच इसकी जानकारी देना लाभप्रद सिद्ध होगा।

झारखंड में स्थानांतरित कृषि को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंझूम कृषि (slash and burn farming) एक आदिम प्रकार की कृषि है जिसमें पहले वृक्षों तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और साफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों (लकड़ी के हलों आदि) से जुताई करके बीज बो दिये जाते हैं।