लेखिका मृदुला गर्ग का जन्म कब और कहां हुआ?
इसे सुनेंरोकेंमृदुला गर्ग का जन्म 25 अक्टूबर 1938 को कलकत्ता में हुआ था। सन् 1960 में अर्थशास्त्र में मास्टर किया और दिल्ली विश्वविद्यालय में 3 साल तक अर्थशास्त्र का अध्यापन भी किया। पहला उपन्यास 35 साल की उम्र में प्रकाशित हुआ था। वह एक चर्चित स्तंभकार भी हैं जिन्होंने पर्यावरण, महिला, बाल व साहित्य तक सभी विषयों पर मुखर होकर लिखा।
मृदुला गर्ग का मृत्यु कब हुई थी?
इसे सुनेंरोकेंमृदुला गर्ग जी 1963 से 1970 ई.
हरी बिंदी किसकी रचना है?
इसे सुनेंरोकेंमृदुला गर्ग पहली कहानी ‘रूकावट’ सारिका में 1972 में छपी थी उसके बाद ‘हरी बिंदी’ और ‘डेफोडिल जल रहे है’ छपी।
शादी के बाद मृदुला गर्ग कहाँ रहने लगी?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. प्रश्न 9 शादी के बाद लेखिका ‘ मृदुला गर्ग’ बिहार के किस छोटे से कस्बे में रहीं? ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका मृदुला गर्ग शादी के बाद बिहार के डालमियानगर नामक छोटे से कस्बे में रही थीं।
मृदुला गर्ग का मूल नाम क्या है?
मृदुला गर्ग | |
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पूरा नाम | मृदुला गर्ग |
जन्म | 25 अक्तूबर, 1938 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
मृदुला गर्ग का बचपन का क्या नाम था *?
मृदुला गर्ग का संक्षिप्त जीवन परिचय | Mridula Garg Biography in Hindi
लेखक का नाम | मृदुला गर्ग |
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जन्म तिथि | 25 अक्टूबर 1938 |
जन्म स्थान | कलकत्ता, राज्य : पश्चिम बंगाल , देश : भारत |
पिता का नाम | श्री बी.पी. जैन |
पति का नाम | आनंद प्रकाश गर्ग |
मृदुला गर्ग को कौन सा रोग हो गए था *?
मृदुला गर्ग के उपन्यास
क्रम | उपन्यासों के नाम | प्रकाशन वर्ष |
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1 | उसके हिस्से की धूप | 1975 |
2 | वंशज | 1976 |
3 | चित्तकोबरा | 1979 |
4 | अनित्य | 1980 |
हरी बिंदी किसका प्रतीक है?
इसे सुनेंरोकें’मृदुला गर्ग’ द्वारा रचित कहानी “हरी बिंदी” में आज की एक आधुनिक नारी के मनोभावों का चित्रण किया गया है। कहानी की मुख्य पात्र आज की आधुनिक नारी का प्रतिनिधित्व करती है। कहानी की नायिका अपने दांपत्य जीवन की घुटन से परेशान है। वह अपने बंधन कारी दांपत्य जीवन से अलग सुकून के कुछ पल जीना चाहती है।
6 हरी बिंदी कहानी स्त्री व स्व चेतना की कहानी है कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंहरी बिंदी, मीरा नाची और साठ साल की औरत कहानियों की स्त्रियां समाज की तय की गई हदबंदियों को धता बताकर निजी सोच और आकांक्षाओं के अनुरूप जीना चाहती हैं. स्थापित व्यवस्था ने यदि जीवन के छोटे-छोटे सुख भी स्त्री से छीने हैं, तो वह भी रुढ़िबद्ध समाज में दरारें डाल अपने लिए एक निजी स्पेस तलाश ही लेगी.
मृदुला गर्ग ने कौन सा पाठ लिखा है?
इसे सुनेंरोकेंउन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में २००३ से २०१० तक ‘कटाक्ष’ नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा। उनके आठ उपन्यास- उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, ‘मैं और मैं’, कठगुलाब, ‘मिलजुल मन’ और ‘वसु का कुटुम’।