महाराणा लाखा कौन से वंश के थे?
इसे सुनेंरोकेंमहाराणा लाखा का इतिहास (Rana Lakha History In Hindi) जानने से पहले आपको बता दें कि इन्होंने 1382 से लेकर 1397 तक मेवाड़ पर राज किया था। सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा राणा लाखा के पिता का नाम क्षेत्र सिंह था। राणा लाखा के पुत्र का नाम महाराणा मोकल था।
महाराणा लाखा कौन सा युद्ध हार गए थे?
इसे सुनेंरोकेंयह सुन कर राणा लाखा ने बूँदी पर आक्रमण कर दिया। परंतु मेवाड़ के शासक महाराणा लाखा को नीमरा के इस युद्ध के मैदान में बूँदी के राव हेमू से पराजित होकर भागना पड़ता है, इसलिए अपने को धिक्कारते हैं, और आत्मग्लानि अनुभव करने के कारण जनसभा में भी नहीं जाना चाहते।
महाराणा लाखा के सेनापति का क्या नाम था?
इसे सुनेंरोकेंमेवाड़ नरेश महाराणा लाखा ने सेनापति अभी सिंह से बूँदी के राव हेमू के पास यह संदेश भिजवाया कि बूँदी मेवाड़ की अधीनता स्वीकार करे ताकि राजपूतों की असंगठित शक्ति को संगठित करके एक सूत्र में बाँधा जा सके, परंतु राव ने यह कहकर प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि बूँदी महाराणाओं का आदर तो करता है, पर स्वतंत्र रहना चाहता है।
राणा मोकल की मृत्यु कैसे हुई?
. राणा मोकल मेवाड़ के राणा लाखा तथा ( मारवाड़ की राजकुमारी ) रानी हंंसाबाई केे पुत्र थेे। मेवाड़ राज्य की विषय परिस्थितियों का दौर राणा लाखा की मृत्यु के बाद प्रारंभ हो गया।…राणा मोकल
[छुपाएँ]मेवाड़ के राजपूत राजवंश (1326 –1884) | |
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राणा मोकल | (1421–1433) |
राणा कुम्भ | (1433–1468) |
उदयसिंह प्रथम | (1468–1473) |
राणा रायमल | (1473–1508) |
मुकुल किसका पुत्र था?
राणा मोकल
[छुपाएँ]मेवाड़ के राजपूत राजवंश (1326–1884) | |
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राणा लखा | (1382–1421) |
राणा मोकल | (1421–1433) |
राणा कुम्भ | (1433–1468) |
उदयसिंह प्रथम | (1468–1473) |
महाराणा ने अपनी किस अभिलाषा को पागलपन कहा है और क्यों?
इसे सुनेंरोकें“महाराणा-चारणी, क्यों पश्चात्ताप से विकल प्राणों को तुम और दुःखी करती हो? न जाने किस बुरी सायत में मैंने बूँदी को अपने अधीन करने का निश्चय लिया था। वीरसिंह की वीरता ने मेरे हृदय के द्वार खोल दिए हैं, मेरी आँखों पर से पर्दा हटा दिया है। मैं देखता हूँ कि ऐसी वीर जाति को अधीन करने की अभिलाषा करना पागलपन है।”
महाराणा लाखा ने क्या प्रतिज्ञा ली थी?
इसे सुनेंरोकेंमहाराणा लाखा ने कौन-सी प्रतिज्ञा की थी? उत्तर: महाराणा लाखा ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक बूंदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूँगा, अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा।
महाराणा मोकल की हत्या कैसे हुई?
इसे सुनेंरोकेंजब राणा मोकल गुजरात के शासक अहमद शाह के विरुद्ध अभियान पर जा रहे थे तो रास्ते मे जिलवाडा नामक स्थान पर राणा क्षेेेत्र सिंह के दासीपुुत्र चाचा व मेरा ने राणा मोकल की हत्या कर दी इसके उपरांत 1433 ई. में महाराणा कुम्भा गद्दी पर बैठे।
जीवनलाल ने अपनी बहू के प्रति कैसा व्यवहार किया और क्यों समझाकर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंजीवनलाल के अनुसार बेटे की शादी में बहू कमला के परिवार वालों ने उनकी हैसियत के हिसाब से उनकी खातिरदारी नहीं की तथा कम दहेज दिया। इससे उनके मान पर धब्बा लगा है। जीवनलाल प्रमोद पर व्यंग करते हुए यह भी कहता है कि जब उनकी मुँह माँगा दहेज़ देने का सामर्थ्य नहीं था तो अपनी बहन की शादी उनके के बेटे से क्यों करवाईं।