संपत्ति पर कब्जा करने वाला उसका मालिक नहीं हो सकता सुप्रीम कोर्ट?
इसे सुनेंरोकेंसुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि, “केवल रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने से किसी व्यक्ति को संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिल जाता है. केवल इस बुनियाद पर कि उसका नाम रिकॉर्ड में मौजूद है ये तय नहीं किया जा सकता
जमीन कब्जा कानून?
इसे सुनेंरोकेंयदि कोई व्यक्ति, जो किसी संपत्ति का कानूनी स्वामी नहीं है, मालिक की सहमति के बिना उस पर कब्जा कर लेता है, तो यह संपत्ति का अवैध कब्जा माना जाएगा। जब तक अधिभोगी के पास परिसर का उपयोग करने के लिए स्वामी की अनुमति है, तब तक व्यवस्था की कानूनी वैधता होगी। प्रतिकूल कब्जे पर प्रावधान सीमा अधिनियम, 1963 के तहत किए गए हैं
प्रतिकूल कब्जे 2019 पर सुप्रीम कोर्ट?
इसे सुनेंरोकेंसुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि किसी संपत्ति पर लगातार और लंबे समय तक किया गया कब्जा, प्रतिकूल कब्जा (Adverse Possession Law) नहीं कहा जा सकता है ताकि लिमिटेशन एक्ट के अनुच्छेद 65 के आशय की सीमा में उचित स्वामित्व हो। मामले में वादी ने मुकदमें में शामिल संपत्ति की खरीद के आधार पर कब्जे के लिए मुकदमा दायर किया था।
अचल संपत्ति पर 12 वर्ष से जिसका अवैध कब्जा वही बन जाएगा कानूनी मालिक सुप्रीम कोर्ट?
इसे सुनेंरोकेंबेंच ने कहा, ‘हमारा फैसला है कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता है। अगर किसी ने 12 साल से अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा
जमीन के कब्जे के बारे में?
इसे सुनेंरोकेंवास्तविक कब्जा: लिमिटेशन की पूरी अवधि के दौरान वास्तविक अधिकार होना चाहिए। फसल कटाई, इमारत की मरम्मत, पेड़ लगाना और शेड बनाना जैसे शारीरिक कार्यों के जरिए भी वास्तविक कब्जा निर्धारित होता है। संपत्ति पर बिना शारीरिक कब्जा किए कब्जा करने वाला प्रॉपर्टी पर दावा नहीं कर सकता।
अवैध कब्जा हटाने के लिए क्या करें?
इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले अपने पड़ोसी के साथ इस मुद्दे पर बात करें। हो सकता है वह अपना ढांचा हटा ले या कोई अन्य व्यवस्था कर ले। कोर्ट के बाहर इस मुद्दे को सुलझाने से दोनों पक्षों की कानूनी फीस बचेगी। साथ ही वकील हायर करने और कोर्ट जाने के झमेलों से भी मुक्ति मिलेगी
भारत में प्रतिकूल कब्जे के कानून?
इसे सुनेंरोकेंइस कानून में प्राइवेट संपत्ति के लिए 12 साल और सरकारी संपत्तियों के लिए 30 साल की अवधि होती है, जिसमें आप संपत्ति का मालिकाना हक ले सकते हैं। इसका मतलब है कि प्रतिकूल कब्जे के मामले में असली मालिक के पास प्रॉपर्टी टाइटल हो सकता है, लेकिन कानून के जरिए वह इस तरह दावा करने का अधिकार खो देता है।