सामाजिक परिवर्तन लाने में शिक्षा कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा प्रणाली समाज की जरूरतों के अनुसार बदलती है। सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में शिक्षा का अर्थ है कि शिक्षा लोगों को सामाजिक परिवर्तन लाने में कैसे मदद करती है। शिक्षा सामाजिक और आर्थिक समस्याओं के प्रति दृष्टिकोण और पारंपरिक दृष्टिकोण को बदल देती है। यह बच्चों के कौशल और ज्ञान को तेज करता है।
शिक्षा सामाजिक परिवर्तन का अनुगमन करती है यह कथन किसका है?
इसे सुनेंरोकेंरामाधीन अहिरवार ने कहा कि शिक्षा की सामाजिक परिवर्तन में अहम भूमिका है। जाति के आधार पर अब वर्गों को देखने की आवश्यकता नहीं है बल्कि वर्ग के आधार पर गरीबी अमीरी को समझने की जरूरत है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग सामाजिक वंचना का शिकार है जिसके लिए अभावग्रस्त लोगों की संसाधनों पर पहुंच एवं नियंत्रण आवश्यक है।
समाज के संदर्भ में शिक्षा का सामाजिक आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण का आधार उस समाज का जीवन दर्शन समाज की संरचना और उसकी धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व आर्थिक स्थिति होनी चाहिए. इस प्रकार शिक्षा का सामाजिक आधार इस बात पर बल देता है कि शिक्षा का आधार समाज हो. शिक्षा के द्वारा बालकों का सर्वतोमुखी विकास हो जिसे समाज का भी उत्तरोत्तर विकास हो सके.
शिक्षा तथा सामाजिक परिवर्तन में क्या संबंध है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा के माध्यम से अनुभवों को पुनः संरचित किया जाता है तथा इस प्रकार से ही लोगों के व्यवहार में, रुचियों में परिवर्तन आता है। इन परिवर्तनों से सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन आता है जो सामाजिक परिवर्तन कहलाता है। इस प्रकार शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख कारक है।
शिक्षक शिक्षा का सामाजिक दृष्टिकोण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा के व्यापक अर्थ को प्रकट करने में कहा जा सकता है कि शिक्षा किसी समाज में सदैव चलने वाली वह सोद्देश्य सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का विकास, उसके ज्ञान एवं कला-कौशल में वृद्धि एवं व्यवहार में परिवर्तन किया जाता है और इस प्रकार उसे सभ्य, सुसंस्कृत एवं योग्य नागरिक बनाया जाता है।
मैकाइवर के अनुसार सामाजिक परिवर्तन के कितने प्रतिमान है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. मैकाइवर और पेज ने सामाजिक परिवर्तन के जिन तीन प्रतिमानों का विवरण रेखीय प्रतिमान उनमें से एक है। यह सामाजिक परिवर्तन का वह स्वरूप है जो कि सिलसिले से क्रम विकास की ओर एक दिशा में निरन्तर बढ़ता जाता है।
शिक्षा सामाजिक परिवर्तन कैसे लाती है?
इसे सुनेंरोकेंसमाज को सभ्य एवं सुसंस्कृ पीढ़ी प्रदान करती है । ‘ शिक्षा समाज के लिये वह साधन है जिसके द्वारा समाज के मनुष्योके विचारों, आदर्शों, आदतों और दृष्टिकोण में परिवर्तन कर समाज की प्रगति की जाती है । एलवुड ने स्ष्ट किया है – “शिक्षा वह साधन है जिसमें समाज सब प्रकार की महत्वपूर्ण सामाजिक प्रगति की आशा कर सकता है ।
शैक्षिक समाजशास्त्र का शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक समाजशास्त्र की सहायता से शिक्षा की अवधारणा को समझने में सहायता मिलती हैं। शैक्षिक समाजशास्त्र की सहायता से विद्यार्थियों की समस्याओं को समझने में सहायता मिलती है जिससे यह शिक्षण–अधिगम प्रक्रिया में भी अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करता हैं।
सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा व सामाजिक सुधार एवं प्रगति-शिक्षा समाज के व्यक्तियों को इस योग्य बनाती है कि वह समाज में व्याप्त समस्याओं, कुरीतियों ग़लत परम्पराओं के प्रति सचेत होकर उसकी आलोचना करते है और धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हेाता जाता है। शिक्षा समाज के प्रति लेागों को जागरूक बनाते हुये उसमें प्रगति का आधार बनाती है।
सामाजिक परिवर्तन के रूप में शिक्षा की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा द्वारा समाज के लोगों की सोच तथा व्यक्तित्व का विकास होता है। शिक्षा मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है तथा मनुष्य को समाज में प्रतिष्ठित कार्य करने योग्य बनाती है। शिक्षा लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाती है तथा समाज को शिक्षित, सभ्य एवं सुसंस्कृत पीढ़ी प्रदान करती है।