दाह संस्कार कैसे करे?

दाह संस्कार कैसे करे?

इसे सुनेंरोकेंपार्थिव शरीर की परिक्रमा का नियम : श्मशान ले जाने से पूर्व घर पर कुटुंब के लोग मृत व्यक्ति के पार्थिव शरीर की परिक्रमा करते हैं। बाद में दाह संस्कार के समय संस्कार करने वाला व्यक्ति छेद वाले घड़े में जल लेकर चिता पर रखे पार्थिव शरीर की परिक्रमा करता है। जिसके अंत में पीछे की ओर घड़े को गिराकर फोड़ दिया जाता है।

मुर्दा जलाने के बाद क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंकिसी दूसरे की शवयात्रा में जाने वाले को 1 दिन का, मुर्दा छूने वाले को 3 दिन और मुर्दे को कन्धा देने वाले को 8 दिन की अशुद्धि (सूतक) मानी जाती है। घर में कोई आत्मघात करले तो 6 महीने का पातक मानना चाहिए। परिवार के सदस्यों को सूतक-पातक की अवधि में पूजा-पाठ, मंदिर में प्रवेश आदि धार्मिक क्रियाएं नहीं करना चाहिए।

हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंपितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है।

श्मशान घाट की मिट्टी से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंलाल किताब में वर्णित एक ऐसा उपाय है जिसे करने से लक्ष्मी कभी भी घर से बाहर नहीं जाती। मिट्टी का कोई भी बर्तन लेकर श्मशान जाएं और वहां से उस बर्तन में पानी भरकर अपने घर ले आएं। उस बर्तन में चांदी का एक चौरस टुकड़ा डालकर घर की पूर्व दिशा में रख दें और परिवार के सभी सदस्यों को हिदायत दे दें की कोई भी उससे छेड़छाड़ न करे।

हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंदाह संस्कार करने के नियम- उसी दाह संस्कार को श्रेष्ठ माना जाता है जिसमें पूरे रीति रिवाज का पालन करके मृत शरीर को लकड़ी की चिता पर लेटाया जाता है। जब भी दाह संस्कार किया जाए तो वो पूरे आदर और सम्मान के साथ किया जाना चाहिए। इसी से सभ्यता व असभ्यता का बोध होता है। श्मशान तक पूरे अनुशासन का पालन किया जाना चाहिए।

मृत्यु के बाद क्या क्या करना चाहिए?

मृत्यु के बाद इन 3 कारणों से टलता है दाह संस्कार

  1. हिन्दू धर्म में अगर किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो उसके शव को रात भर घर पर ही रखा जाता है और अगले दिन उसका दाह संस्कार किया जाता है.
  2. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में होती है तो पंचक काल में शव को नहीं जलाया जा सकता.