घूंघट प्रथा कब शुरू हुई?
इसे सुनेंरोकेंअगर इसकी शुरुआत की बात करें तो यह प्रथा 12वीं शताब्दी के आसपास शुरू हुई थी. उस समय भारत पर मुगलों का शासन नहीं था. लेकिन इस प्रथा ने अपनी जड़ें केवल मुगलों के शासनकाल में ही मजबूत की हैं. इसलिए हम कह सकते हैं कि मुगलों से भी पहले राजस्थान में घूंघट प्रथा शुरू हो गई थी.
जनरीति क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजब समुदाय के अनेक व्यक्ति एक साथ एक ही तरह के उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयत्न करते हैं तो वह एक सामूहिक घटना होती है जिसे ‘जनरीति’ (Folkways) कहते हैं। यह जनरीति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होती रहती है।
घूंघट प्रथा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंघूंघट सिर्फ चेहरे का परदा है जबकि बुर्का पूरे बदन का । भारत में ईसा से 500 वर्ष पूर्व लिखे गये इतिहास में, पर्दा प्रथा का वर्णन नहीं मिलता है. तब अदालतों के अंदर स्त्रियों के आने जाने का उल्लेख मिलता है. जब हमारी औरतें यहाँ उपस्थित होती थीं, तो वे यहाँ बिना किसी पर्दे के यहाँ आती थीं.
पर्दा प्रथा का अंत कब हुआ?
इसे सुनेंरोकेंपर्दा प्रथा का अंत हुआ ही नहीं है।
औरतें घूंघट क्यों करती हैं?
इसे सुनेंरोकेंसुरक्षा के कारण: कुछ धर्मो में पर्दा रखना इसलिए जरुरी है, क्योंकि यह माना जाता है कि अगर महिलाएं खुद को पर्दे में रखेंगी तो वे अन्य पुरुषों से सुरक्षित रहेंगी। महिलाएं केवल अपने पति या पिता के सामने बेपर्दा हो सकती हैं। मुस्लिम का आक्रमण: महिलाओं को पर्दे में रखने का रिवाज मुस्लिम शासन के बाद से हुआ है।
इसे सुनेंरोकेंरामायण या महाभारतकाल की महिलाओं में भी पर्दा प्रथा या सिर ढंकने की परंपरा नहीं थी। उस काल की महिलाएं 16 श्रृंगार करती थीं जिसमें ओढ़नी या घूंघट नहीं होता था। बौद्धकाल में भी महिलाओं में पर्दा प्रथा का कोई जिक्र नहीं मिलता है।
पर्दा और बाल विवाह की प्रथा कब प्रबल हो गई?
इसे सुनेंरोकेंअन्ततः उल्लेखित कारणों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत में पर्दा- प्रथा का जन-साधारण में प्रचलन 12वीं सदी के बाद ही हुआ, जब देश एवं समाज विदेशी आक्रमणों से आक्रान्त होने लगा था और भारतीय स्त्रियों के लिए सुरक्षा का प्रश्न महत्वपूर्ण बनने लगा था।
पर्दा प्रथा जैसी कुरीति ने कब जन्म लिया class 8?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: परदा प्रथा ने औरतों के विकास को पूर्णत: समाप्त ही कर दिया था। माना जाता है इस प्रथा का विकास मुगल-काल से आरंभ हुआ था। आरंभ में तो इसे सिर्फ़ आदर भाव के रूप में लिया गया था जो सिर्फ़ बड़े राजघरानों व मुगलघरानों तक सीमित था।
प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति क्या थी?
इसे सुनेंरोकेंवैदिक काल में ”महिलाओं की स्थिति समाज में काफी ऊंची थी और उन्हें अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त थी। वे धार्मिक क्रियाओं में भाग ही नहीं लेती थीं बल्कि, क्रियाएं संपन्न कराने वाले पुरोहितों और ऋषियों का दर्जा भी उन्हें प्राप्त था।” उस समय महिलाएं धर्म शास्त्रार्थ इत्यादि में पुरूषों की तरह ही भाग लेती थी।
सती प्रथा का अंत कैसे हुआ?
इसे सुनेंरोकेंसती प्रथा का अन्त ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राममोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध समाज को जागरूक किया। जिसके फलस्वरूप इस आन्दोलन को बल मिला और तत्कालीन अंग्रेजी सरकार को सती प्रथा को रोकने के लिये कानून बनाने पर विवश होना पड़ा था। अन्तत: उन्होंने सन् 1829 में सती प्रथा रोकने का कानून पारित किया।
राजस्थान की औरतें घूंघट क्यों निकालती है?
इसे सुनेंरोकेंघूंघट भारतीय परंपरा में अनुशासन और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। आज भी राजस्थान में यह प्रथा गाँव से लेकर शहर तक में जीवित है। मारवाड़ी औरतें मुंबई में रहें हैं फिर कोलकाता में, घूँघट जरूर करती हैं।