जेरोम ब्रूनर ने अधिगम की कितनी अवस्थाएं बताइए?
इसे सुनेंरोकेंब्रूनर ने संज्ञानात्मक विकास को तीन अवस्थाओं में विभाजित किया है – ब्रूनर द्वारा संज्ञानात्मक विकास के चरण बालक भौतिक वस्तुओं से क्रिया करता है और उसके प्रभावों से सीखता है। इस अवस्था में बालक क्रिया करके सीखने या संज्ञान लेने का प्रयास करता है। जैसे – हाथ पैर चलाना, साइकिल चलाना आदि।
ब्रूनर का अधिगम में क्या योगदान है?
इसे सुनेंरोकेंब्रूनर ने मानसिक अवस्थाओं का वर्णन किया। इन अवस्थाओं के अनुसार शिक्षण विधियों व प्रविधियों का प्रयोग करना चाहिये। इनकी अन्वेषण विधि द्वारा छात्रों में समस्या समाधान की क्षमता का विकास किया जा सकता है। ब्रूनर ने सम्प्रत्यय को समझने पर बल दिया अतः शिक्षक को विषय ठीक से समझाने चाहिये।
ब्रूनर के अनुसार बौद्धिक विकास की कितनी आवश्यकता है?
इसे सुनेंरोकेंब्रूनर के अनुसार बालक सर्वप्रथम क्रियात्मक अवस्था में संज्ञानात्मक चिन्तन करते है, तत्पश्चात् प्रतिबिंबात्मक अवस्था में ज्ञानात्मक चिन्तन करते है तथा सबसे अंत में संकेतात्मक अवस्था में ज्ञानात्मक चिन्तन करते है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि बालक प्रारंभ में क्रियाओं के द्वारा चिन्तन करते है।
पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक बाल विकास की कितनी अवस्थाएं हैं?
इसे सुनेंरोकेंपियाजे के संज्ञानात्मक विकास को चार अवस्थाओं में बांटा गया हैं। इंद्रिय जनित गामक अवस्था । पूर्व संक्रियात्मक अवस्था । मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ।
ब्रूनर मॉडल क्या है?
इसे सुनेंरोकेंबू्रनर ने संज्ञानात्मक विकास का मॉडल प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, यह वह माडल है जिसके द्वारा मनुष्य अपने वातावरण से सामंजस्य स्थापित करता है। ब्रूनर ने अपना संज्ञान सम्बन्धी अध्ययन सर्वप्रथम प्रौढ़ों पर किया, तत्पश्चात् विद्यालय जाने वाले बालकों पर, फिर तीन साल के बालकों पर और फिर नवजात शिशु पर किया।
ब्रूनर के अनुसार बालक की मानसिक अनुभूतियों का तरीका कौन सा है?
ब्रूनर का सिद्धान्त (Bruner’s Cognitive Development Theory)
- (1) सक्रियता विधि (Enactive Mode)-इस विधि में शिशु अपनी अनुभूतियों को शब्दहीन क्रियाओं के द्वारा व्यक्त करता है।
- (2) दृश्य प्रतिमा विधि (Iconic Mode) इस विधि में बालक अपनी अनुभूति को अपने मन में कुछ दृश्य प्रतिमांए ;टपेनंस पउंहमेद्ध-बनाकर प्रकट करता है।