उपभोक्ता संरक्षण परिषद एवं उपभोक्ता अदालत में क्या अंतर है?

उपभोक्ता संरक्षण परिषद एवं उपभोक्ता अदालत में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंधारा 8ii – जिला उपभोक्ता परिषद के उद्धेश्य : केन्द्रीय एवं राज्य परिषद की भांति जनपद की सीमा क्षेत्र में उपभोक्ताओं के हितो का सरंक्षण, इस परिषद द्वारा सुनिशि्ंचत किया जायेगा। धारा 9- जिला उपभोक्ता फोरम का गठन : प्रत्येक जनपद में राज्य सरकार द्वारा एक या अधिक जिला फोरम का गठन किया जायेगा।

उपभोक्ता प्रबंधन से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंउपभोक्ता प्रबंधन का अर्थ (upbhokta prabandhan ka arth) इस प्रकार उपभोक्ता व्यवहार का तात्पर्य क्रेताओं द्वारा किए जाने वाले उन आचरणों से लगाया जाता है, जिनसे प्रेरित होकर वे माल को खरीदने का निर्णय लेते है। इस प्रकार से उपभोक्ता व्यवहार यह निर्णय लेने की प्रक्रिया है कि उपभोक्ता क्या, कब, कैसे व कहाँ से क्रय करेगा।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंCCPA का उद्देश्य उपभोक्ता के उन अधिकारों की रक्षा करना है जो जनता और उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं। जैसे अनुचित व्यापार प्रथाओं तथा झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना। नया अधिनियम, सेवा की गुणवत्ता या मात्रा के बारे में गलत जानकारी प्रदान करने और भ्रामक विज्ञापनों जैसे अपराधों को पहचानत करता है।

उपभोक्ता के कौन कौन अधिकार है प्रत्येक अधिकार को सोदाहरण लिखें?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर – प्रत्येक उपभोक्ता को निवारण का अधिकार प्राप्त है जिसके अंतर्गत उसके हितों की रक्षा होती है। यह अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को यह आश्वासन देता है कि खरीदी गई वस्तु या सेवा उचित ढंग की नहीं है तो उसे मुआवजा दी जाए।

शिक्षा से आप क्या समझते हैं उपभोक्ता शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है?

इसे सुनेंरोकेंसही वस्तु खरीदने की क्षमता का विकास होना – उपभोक्ता शिक्षा से सही वस्तुओं या सेवाओं को खरीदने की क्षमता का विकास होता है। हानिकारक वस्तुओं के उपभोग पर रोक – उपभोक्ता शिक्षा से उपभोक्ताओं को यह ज्ञात हो जाता है कि कौनसी वस्तु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और कौन सी वस्तु जीवन-स्तर में सुधार करने मे भी सहायक होती है।

उपभोक्ता संरक्षण परिषद क्या है?

इसे सुनेंरोकेंउपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 क्षतिपूर्ति के लिए ‘फोरम’ गठित करता है, क्योंकि क्षतिपूर्ति की भरपाई सभी उपभोक्ताओं का अधिकार है। यह ‘फोरम’ जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के हैं। उपभोक्ता को इसके बारे में शिक्षित करना उपभोक्ता सुरक्षा परिषद् का दायित्व है।