शिवलिंग की हकीकत क्या है?

शिवलिंग की हकीकत क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.) शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि दोनों का समान है।

शिवलिंग का नाम शिवलिंग कैसे पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंशिवलिंग (अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न) इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। यह प्राकृतिक रूप से स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित होता है। शिवलिंग को सामान्यतः गोलाकार मूर्तितल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे पीठम् या पीठ कहते हैं।

शिव और शिवलिंग में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंलिंग का अर्थ होता है प्रतीक, अर्थात भगवान शिव के ज्योति रूप में प्रकट होने और संसार के निर्माण का प्रतीक। दोनों में एक सरल अंतर यह है कि ज्योतिर्लिंग सदैव स्वयंभू होते हैं और शिवलिंग अक्सर मनुष्यों द्वारा बनाए जाते हैं।

शिवलिंग के नीचे क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंअंत में इसका शीर्ष भाग, जो कि अंडाकार होता है जिसकी पूजा की जाती है. इस शिवलिंग की ऊंचाई संपूर्ण मंडल या परिधि की एक तिहाई होती है. ये तीन भाग ब्रह्मा (नीचे), विष्णु (मध्य) और शिव (शीर्ष) का प्रतीक हैं. शीर्ष पर जल डाला जाता है, जो नीचे बैठक से बहते हुए बनाए एक मार्ग से निकल जाता है.

क्या शिवलिंग भगवान शिव का लिंग है?

इसे सुनेंरोकेंशिवलिंग (अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न) इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। यह प्राकृतिक रूप से स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित होता है।

शिवलिंग का आकार ऐसा क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंशिवलिंग के अंडाकार के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, दोनों कारण है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो शिव ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं। अर्थात शिव ही वो बीज हैं, जिससे पूरा संसार बना है, इसलिए शिवलिंग का आकार अंडे जैसा है।

शिवलिंग का नाम शिवलिंग क्यों पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंशिवलिंग शब्द में शिव का अनंत अस्तित्व अन्तर्निहित है ”शिवलिंग” शब्द बहुत गहरा है. इसमें शिव के अनंत अस्तित्व की परिभाषा दर्शित है. शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से शिव लिंग शब्द को प्रयोग में लाया जाता है. यदि स्कन्दपुराण में देखें तो वहां स्पष्ट किया गया है कि आकाश स्वयं ही लिंग है.