कवि कौन सा दंड पाना चाहता है और क्यों?

कवि कौन सा दंड पाना चाहता है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंकवि स्वयं को अपनी प्रियतमा का दोषी मानता है, अत: वह दंड पाना चाहता है। (ख) कवि दंड स्वरूप गहन अंधकार वाली गुफाओं, सुरंगों या धुएँ के बादलों में छिप जाना चाहता है। इससे वह अपनी प्रियतमा से दूर रह पाएगा और अकेला रहना सीख सकेगा। (ग) कवि को अपनी प्रियतमा के बारे में यह अनुभव है कि उसके जीवन की हर गतिविधि पर उसका प्रभाव है।

प्रश्न 1 कवि अपने जीवन की सभी अनुभवों को खुशी से स्वीकार करता है क्यों?

इसे सुनेंरोकें(ख) कवि अपने दिल की तुलना मीठे पानी के झरने से करता है। वह इसमें से जितना भी प्रेम बाहर ऊँडेलता है, उतना ही यह फिर भर जाता है। (ग) कवि प्रिय को अपने जीवन पर इस प्रकार आच्छादित अनुभव करता है जैसे धरती पर सदा चाँद मुस्कराता रहता है। कवि के जीवन पर सदा उसके प्रिय का मुस्कराता हुआ चेहरा जगमगाता रहता है।

कवि अपने जीवन को सहर्ष स्वीकार क्यों करता है?

इसे सुनेंरोकें’सहर्ष स्वीकारा है’-कविता में कवि क्या कहना चाहता है? उत्तर: कवि ने इस कविता में अपने जीवन के समस्त खट्टे-मीठे अनुभवों, कोमल-तीखी अनुभूतियों और सुख-दुख की स्थितियों को इसलिए स्वीकारा है क्योंकि वह अपने किसी भी क्षण को अपने प्रिय से न केवल जुड़ा हुआ अनुभव करता है, अपितु हर स्थिति को उसी की देन मानता है।

घर की याद कविता में कवि की कितनी बहने हैं?

इसे सुनेंरोकेंउसके चार भाई व चार बहने हैं। चारों भाई भुजाएँ हैं तथा बहनें प्यार हैं। भाई भुजा के समान कर्मशील व बलिष्ठ हैं तथा बहनें स्नेह की भंडार हैं। सावन के महीने का स्वाभाविक वर्णन है।

जितना भी उड़ेल ता हूं बर बर फिर आता है मैं कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकें(1) ‘दिल में क्या झरना है’ में प्रश्न अलंकार है। (ii) ‘भर-भर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है, जितना भी उँडेलता है, भर-भर फिर आता है’ में विरोधाभास अलंकार है, ‘मीठे पानी का सोता है’ में रूपक अलंकार है, प्रिय के मुख की चाँद के साथ समानता के कारण उपमा अलंकार है।

कवि अपने प्रियतम से क्या दंड मांगता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि अपने लिए ऐसा दंड चाहता है जिससे वह प्रिय को भूल जाए। बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है-और कविता के शीर्षक सहर्ष स्वीकारा है में आप कैसे अंतर्विरोध पाते हैं? चर्चा कीजिए। यद्यपि दोनों में विरोधाभास वाली स्थिति है, पर वास्तव में इनमें अंतर्विरोध है नहीं।

जाने क्या रिश्ता है जाने क्या नाता है जितना भी उँड़ेलता हूँ भर भर फिर आता है?

इसे सुनेंरोकेंव्याख्या कीजिए : जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है दिल में क्या झरना है? मीठे पानी का सोता है भीतर वह, ऊपर तुम मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है! रहने का रमणीय यह उजेला अब सहा नहीं जाता है।

सहर्ष स्वीकार है कविता किसको व क्यों स्वीकार की प्रेरणा देती है?

इसे सुनेंरोकेंमुक्तिबोध की यह कविता अपनी सुख-दु:ख की अनुभूतियों, गरबीली गरीबी प्रौढ़ विचार, व्यक्तिगत दृढ़ता, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव, प्रेमिका का प्रेम व नूतन भावनाओं के वैभव को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। इससे व्यक्ति का जीवन सहज होता है।

प्रश्न 3 सहर्ष स्वीकारा है कविता किसको व क्यों स्वीकारने की प्रेरणा देती है लिखिए?

इसे सुनेंरोकें’सहर्ष स्वीकारा है’ कविता किसको व क्यों स्वीकारने की प्रेरणा देती है? मुक्तिबोध की यह कविता अपनी सुख-दु:ख की अनुभूतियों, गरबीली गरीबी प्रौढ़ विचार, व्यक्तिगत दृढ़ता, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभव, प्रेमिका का प्रेम व नूतन भावनाओं के वैभव को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। इससे व्यक्ति का जीवन सहज होता है।

कवि अपनी कौन सी मन स्थिति तथा परि स्थि ति को अपने घर वालों से छि पाता है घर की याद कवि ता के आधार पर बताइए?

इसे सुनेंरोकेंकविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मन:स्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है? उत्तर: कवि जेल में है। वह सावन को कहता है कि वह उसके परिवार वालों को उसकी निराशा के बारे में न बताए।