साम्राज्यवादी इतिहासकारों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकें* साम्राज्यवादी इतिहासकारों के इतिहास लेखन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य को स्थायित्व प्रदान करना था।
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंकिसी एक भौगोलिक क्षेत्र के लोगों द्वारा किसी दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में उपनिवेश (कॉलोनी) स्थापित करना और यह मान्यता रखना कि यह एक अच्छा काम है, उपनिवेशवाद (Colonialism) कहलाता है।
राष्ट्रवादी इतिहास लेखन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रवादी इतिहास लेखन का आरम्भ उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में हुआ. आधुनिक अंग्रेज़ी शिक्षा और यूरोपीय इतिहास लेखन ने भारतीयों में इतिहास के प्रति एक चेतना पैदा कर थी. अत: अतीत के प्रति जागरुक भारतीयों ने मूल तथ्यों एवं प्राथमिक स्रोतों को आधार बनाकर आधुनिक इतिहास-लेखन का आरम्भ किया.
उपनिवेशवाद साम्राज्यवाद से कैसे भिन्न है?
इसे सुनेंरोकेंसाम्राज्यवाद का अस्तित्व सभ्यता के प्रारंभ से है जैसे-रोमन साम्राज्य, सिकंदर का साम्राज्य आदि। जबकि उपनिवेशवाद का उदय भौगोलिक खोजों एवं औद्योगिक क्रांति जैसे क्रांतिकारी परिवर्तनों से हुआ। साम्राज्यवाद राज्य के प्रयासों का प्रतिफल होता है जबकि उपनिवेशवाद व्यक्तिगत एवं संस्थागत दोनों के प्रयासों से भी संभव है।
हरित साम्राज्यवाद क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअतः कृषि विकास हेतु साम्राज्यवादी सरकारों उनके विश्व बैंक व भारतीय सरकार द्वारा हरित क्रांति और सफेद क्रांति शुरू की गई, हरित क्रांति के तहत आधुनिक बीज, खाद, ट्यूबेल, ट्रैक्टर व रासायनिक दवाओं से खेती की जाने लगी, यह सारे संसाधन गांव की जगह शहरों बाजारों में मिलते हैं, और वह भी नगद, फलत: हरित क्रांति के नाम से आई …
औद्योगीकरण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंअनौद्योगीकरण ः साम्राज्यिक देश के आधुनिक उद्योगों के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण उपनिवेशों के पारम्परिक उद्योगों के विनाश की एक प्रक्रिया । उपनिवेशवाद ः एक शासन-पद्धति जिसमें एक देश दूसरे देश पर जीवन के सभी पहलुओं, विशेषतरू आर्थिक, में अपना प्रभुत्व रखता है और उसका शोषण करता है।
भारत का पहला साम्राज्यवादी शासक कौन था?
लॉर्ड डलहौजी
भारत का गवर्नर जनरल | |
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शासक | विक्टोरिया |
पूर्व अधिकारी | विस्काउंट हार्डिंग |
उत्तराधिकारी | चार्ल्स कैनिंग |
जन्म | 22 अप्रैल 1812 डलहौजी किला, मिडलोथियान |
राष्ट्रवाद से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रवाद (nationalism) यह विश्वास है कि लोगों का एक समूह इतिहास, परंपरा, भाषा, जातीयता या जातिवाद और संस्कृति के आधार पर खुद को विभाजित करता है। इन सीमाओं के कारण, वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उन्हें अपने स्वयं के निर्णयों के आधार पर अपना स्वयं का संप्रभु राजनीतिक समुदाय, ‘राष्ट्र’ स्थापित करने का अधिकार है।