मृत्यु योग कब बनता है?

मृत्यु योग कब बनता है?

इसे सुनेंरोकेंजन्म कुंडली में जब कुछ अशुभ योग बनते हैं तो व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने के योग बनते हैं। 1. जिसकी कुंडली के लग्न में मंगल हो और उस पर सूर्य या शनि की अथवा दोनों की दृष्टि हो तो दुर्घटना में मृत्यु होने की आशंका रहती है।

एक व्यक्तिगत चार्ट में भाव क्या दर्शाता है?

इसे सुनेंरोकेंइससे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, परिवार का सुख, घर की स्थिति, दाईं आँख, वाणी, जीभ, खाना-पीना, प्रारंभिक शिक्षा, संपत्ति आदि के बारे में जाना जाता है।

बुध की कितनी दृष्टि होती है?

इसे सुनेंरोकेंसूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र के पास सातवीं दृष्टि है। शनि के पास सातवीं के साथ तीसरी और दसवीं दृष्टि भी है। बृहस्पति के पास सातवीं के साथ पांचवीं और नौवीं दृष्टि भी है।

पापी ग्रह कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंसूर्य , मंगल, शनि और राहू ये क्रम से अधिकाधिक पापी ग्रह है अर्थात सूर्य से मंगल, मंगल से शनि और शनि से राहू अधिक पापी है।

अल्प आयु कितनी होती है?

इसे सुनेंरोकेंअल्पायु योग 20 से 32 वर्ष की आयु को अल्पायु कहा गया है। विद्वानों का मत है कि वृषभ, तुला, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक अल्पायु होते हैं, लेकिन इन लग्न वाले जातकों की कुंडली में यदि अन्य कोई शुभ ग्रह हो और सूर्य मजबूत स्थिति में हो तो इस योग का प्रभाव नहीं रहता।

कुंडली में आयु कैसे देखे?

इसे सुनेंरोकेंसूर्य शनि के किसी भाव (9वें या 12वें) में हो या पुरुष ग्रहों के साथ हो तो आयु मध्यम होगी। सूर्य व चंद्र की युति 11वें भाव में हो तो आयु ठीक होगी। चंद्र और केतु पहले भाव में हों और चैथा भाव रिक्त हो तो आयु मध्यम होगी। चंद्र 5वें और सूर्य 11वें में हो और पुरुष ग्रह उनके मित्र हों या न हों तो आयु मध्यम होगी।

मारकेश योग क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मारकेश का अर्थ मृत्यु तुल्य बताया गया है। यानी जन्मकुंडली में जो ग्रह मृत्यु या मृत्यु के समान कष्ट दें उन्हें मारकेश कहते हैं। यह योग मारक होता है। जन्मकुण्डली का सामयिक विशलेषण करने के पश्चात ही यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की जीवन अवधि अल्प, मध्यम अथवा दीर्घ है।

कुंडली में पिता का भाव कौन सा होता है?

इसे सुनेंरोकेंजन्म कुंडली में पिता का भाव दशम माना गया है। दशम भाव व दशम भाव पर बैठे ग्रह ही उस जातक के लिए लाभकारी होते हैं। सी जातक की कुंडली में दशम भाव बलवान हो तो उसको पिता का धन मिलता है। दशम भाव में उच्च का शुक्र हो तो उस जातक को पिता से धन लाभ मिलता है।

उच्च का राहु क्या फल देता है?

इसे सुनेंरोकेंज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कुंडली में उच्च का राहु व्यक्ति का भाग्य बदल देता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस जातक की कुंडली में राहु ग्रह मजबूत होता है, उसे अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यह व्यक्ति के आध्यात्मिक क्षेत्र में सफलता दिलाता है। राहु ग्रह अपने मित्र ग्रहों के साथ बलवान होता है।