अस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?
इसे सुनेंरोकेंअस्थिर सुख पर दुख की छाया पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों? उत्तर:- ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ क्रांति या विनाश की आशंका को कहा गया है। क्राति की हुंकार से पूँजीपति घबरा उठते हैं, वे अपनी सुख-सुविधा खोने के डर से दिल थाम कर रह जाते हैं।
बादल सा सुख का क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंव्याख्या- कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहता है कि इस समीर रूपी सागर में तू तैरता है। अर्थात लोगों की इच्छा से युक्त उनकी नाव हवा रूपी सागर में तैरती है। संसार में व्याप्त सुख सदैव साथ नहीं रहते हैं। इसी कारण इन्हें अस्थिर कहा गया है अर्थात जो स्थिर न रहें।
लेखक के अनुसार बादल क्या है?
इसे सुनेंरोकेंबादल बंधन से मुक्त होते हैं। इन्हें कोई बंधन में नहीं बांध सकता है। जहाँ इनका मन होता है, वहाँ जाते हैं और वर्षा करते हैं।
सरोज स्मृति कविता में सरोज कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंकवि ‘निराला’ की बेटी का नाम सरोज है जिसकी असामयिक मृत्यु हो गई थी। कवि दुखी होकर उसके विवाह के क्षणों को याद करते हुए कहते हैं कि ”तेरा विवाह बिल्कुल नए रूप में मैंने देखा था। तुझ पर कलश का शुभ्र जल गिराया जा रहा था, तू उस समय मुझे देखती हुई मंद-मंद हँस रही थी।
गगन स्पर्शी कौन है?
इसे सुनेंरोकें4. गगन-स्पर्शी कौन है? (घ) मत्स्य।
कवि निराला ने बादलों से गरजकर बरसने के लिए क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 1:कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों? उत्तर: कवि ने बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के लिए नहीं कहता बल्कि ‘गरजने’ के लिए कहा है; क्योंकि ‘गरजना’ विद्रोह का प्रतीक है। कवि ने बादल के गरजने के माध्यम से कविता में नूतन विद्रोह का आह्वान किया है।
कवि के अनुसार बदल कैसे थे?
इसे सुनेंरोकेंकवि का कहना है कि बादलों की रचना में एक नवीनता है। काले-काले घुंघराले बादलों का अनगढ़ रूप ऐसे लगता है जैसे उनमें किसी बालक की कल्पना समाई हुई हो। उन्हीं बादलों से कवि कहता है कि वे पूरे आसमान को घेर कर घोर ढ़ंग से गर्जना करें। बादल के हृदय में किसी कवि की तरह असीम ऊर्जा भरी हुई है।
बादल राग कविता का मूलभाव क्या है?
इसे सुनेंरोकें’बादल राग’ निराला जी की प्रसिद्ध कविता है। वे बादलों को क्रांतिदूत मानते हैं। बादल शोषित वर्ग के हितैषी हैं, जिन्हें देखकर पूँजीपति वर्ग भयभीत होता है। बादलों की क्रांति का लाभ दबे-कुचले लोगों को मिलता है, इसलिए किसान और उसके खेतों में बड़े-छोटे पौधे बादलों को हाथ हिला-हिलाकर बुलाते हैं।
कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी पुत्री सरोज के विवाह में कौन कौन सी रीतियों को स्वयं निभाया था?
इसे सुनेंरोकें’निराला’ को पुत्री के विवाह के समय उसका शृंगार उनकी पत्नी के निराकार स्वरूप का स्मरण करा रहा था। पत्नी का वह शृंगार ही कविता में अभिव्यक्त हो रहा है। कविता का यह रस मेरे प्राणों में प्रिया के साथ बिताए गए राग-रंगों को भर रहा है।