मेलेनिन बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

मेलेनिन बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

इसे सुनेंरोकें3 तांबा – तांबा तत्व, त्वचा में मेलेनिन के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक है। इसके लिए तांबे के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह खाली पेट पिएं। बरसों पुराना यह तरीका मेलेनिन निर्माण में सहायक है। 4 नीम – नीम एक बेहतरीन रक्तशोधक और संक्रमण विरोधी तत्वों से भरपूर औषधि‍ है।

मेलानिन कैसे बढ़ाएं?

इसे सुनेंरोकेंमेलेनिन प्रोडक्शन को बूस्ट करने के लिए आप अपने आहार में आयरन और कॉपर रिच फूड को शामिल कर सकती हैं। जैसे- पालक, टमाटर, अलसी के बीज, कद्दू के बीज, डार्क चॉकलेट और हरी पत्‍तेदार सब्जियां आदि का सेवन करने से मेलेनिन अधिक बनता है।

मेलानिन की कमी कैसे दूर करे?

इसे सुनेंरोकेंबटरमिल्क के उपयोग से जिद्दी टेनिंग से निपटने के लिए आप लस्सी या छाछ का इस्तेमाल करें. इसमें लैक्टिक एसिड होता है जो आपकी त्वचा की ऊपरी परत, एपिडर्मिस को प्राकृतिक रूप से बनाए रखने में मददगार होता है. कई शोधों के अनुसार लैक्टिक एसिड से त्वचा में मेलेनिन को कम किया जा सकता है. यह आपके कोलेजन के स्तर को बढ़ावा देता है.

मेलेनिन कम होने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि मेलानिन कम हो तो आँखों का रंग हरा या नीला, बालों का रंग सुनहरा और त्वचा का रंग श्वेत हो जाता है। मेलानिन सूरज की किरणों में मौजूद हानिकारक पराबैंगनी (अल्ट्रावाय्लट) से रक्षा करता है जो कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है जिस से त्वचा में झुर्रियाँ पड़ने से लेकर कर्क रोग (कैन्सर) तक हो सकता है।

लोग काले क्यों होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंत्वचा का रंग मैलेनिन नामक एक रसायन से निर्धारित होता है. मैलेनिन की मात्रा के अधिक होने से त्वचा का रंग काला हो जाता है. काला रंग फ़ोलेट नामक विटामिन बी को भी नष्ट होने से बचाता है. काली त्वचा सूर्य की तेज़ किरणों को भीतर जाने से रोकती है जिससे विटामिन डी3 का उत्पादन प्रभावित होता है.

शरीर काला क्यों पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंझाइयां: हॉर्मोनल असंतुलन, थॉयराइड प्रॉब्लम, खूनी की कमी होना। पिंपल्स और एक्ने, पीरियड साइकिल गड़बड़ाना, पॉलिसिस्टिक ओवरी, बालों का ज्यादा आना। बालों का झ़ड़ना: विटामिंस, खून की कमी। गर्दन व आंतरिक हिस्सों का काला पड़ना: लिपिड प्रोफाइल खराब होने पर रंग काला पड़ने लगता है।

काला रंग गोरा कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंलोगों का रंग गोरा या काला होना हमारी त्वचा में पाए जाने वाले मेलेनिन नामक वर्णक की मात्रा के आधार पर तय होता है। जिसके शरीर/त्वचा में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है, वह काला दिखता है व जिसकी त्वचा में मेलेनिन की मात्रा कम होती है, वह गोरा दिखता है। शरीर के अलग-अलग भाग में मेलेनिन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।