हनुमान जी की पत्नी का क्या नाम है?
इसे सुनेंरोकेंपराशर संहिता के अनुसार हनुमान जी आजीवन ब्रह्मचारी रहने का प्रण ले चुके थे और दूसरी ओर उनकी पत्नी सुवर्चला तपस्विनी थी। ऐसे में हनुमान जी की पत्नी विवाह के बाद वापस तपस्या के लिए चली गई। हनुमान जी ने विवाह की शर्त पूरी कर ली लेकिन गृहस्थ जीवन में नहीं रहे और आगे की शिक्षा पूरी की।
गऊ लोचन क्या काम आता है?
इसे सुनेंरोकेंगोरोचन दरअसल एक ऐसी सिद्ध वस्तु है जिसका उपयोग अनेक कर्मों में किया जाता है। धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि, जमीन में गड़े धन का पता लगाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रयोग वशीकरण में किया जाता है। इसका तिलक करने से तीव्र वशीकरण और आकर्षण प्राप्त होता है।
क्या हनुमान जी शादीशुदा थे?
इसे सुनेंरोकेंतब सूर्य देव ने अपनी ही परम तेजस्वी पुत्री सुवर्चला से हनुमान को शादी करने का प्रस्ताव दिया. इसके बाद हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह संपन्न हुआ. सुवर्चला परम तपस्वी थी. विवाह के बाद सुवर्चला सदा के लिए तपस्या में लीन हो गई तो वहीं हनुमान जी भी अपनी बाकी चार विद्याओं के ज्ञान को प्राप्त करने में लग गए.
हनुमान जी की कितनी पत्नियां थी?
इसे सुनेंरोकेंआइए जानते हैं हनुमान जी के तीन विवाह के बारे में- सूर्य की पुत्री सुवर्चला के साथ विवाह: सूर्य की पुत्री सुवर्चला और हनुमान जी के विवाह का उल्लेख पराशर संहिता में मिलता है. पराशर संहिता में उल्लेख किया गया है कि हनुमान जी सूर्य देवता के शिष्य थे.
हनुमान जी की कितनी रानियां थी?
इसे सुनेंरोकेंतीन विवाह होने के उपरांत भी वह सदैव ब्रह्मचारी ही रहे।
गऊ लोचन की क्या कीमत है?
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गोरोचन का तिलक कैसे बनाएं?
विधि –
- तुलसी का बीज, रोली और काली हल्दी को आंवले के रस में मिलाकर गोल बिंदी या गोल/लम्बा तिलक लगाकर घर से निकलें।
- गुरुवार के दिन हरताल और असगंध को केले के रस में पीसकर उसमें गोरोचन मिलाएं और बिंदी या तिलक करें।
- गुरुवार के दिन ही काली हल्दी, रोली, असगंध और चन्दन को आंवले के रस में मिलाकर तिलक या बिंदी करें।
हनुमान जी के कितने पिता थे?
इसे सुनेंरोकेंहनुमानजी के पिता सुमेरू पर्वत के वानरराज राजा केसरी थे और माता अंजनी थीं। हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है और उनके पिता वायु देव भी माने जाते हैं।
हनुमान की कितनी पत्नियां थी?
बजरंगबली के दर्शन कैसे होंगे?
इसे सुनेंरोकेंहनुमान प्रत्यक्ष दर्शन साधना भी ऐसी ही एक तांत्रिक विधि है जिसके द्वारा हनुमानजी के दर्शन होते हैं। इस साधना को किसी मंदिर या गुप्त स्थान पर ही किया जाता है। यदि किसी नदी के किनारे एकांत स्थान या पर्वत पर स्थित मंदिर में किया जाए तो ज्यादा बेहतर होता है।