दिल्ली सल्तनत की प्रशासनिक भाषा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंदिल्ली के सुलतानों के शासनकाल में प्रशासन की भाषा फ़ारसी थी।
दिल्ली का सुल्तान कौन था?
इसे सुनेंरोकेंकुतुब-उद-दीन ऐबक एक गुलाम था, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की। वह मूल रूप से तुर्क था। उसके गुलाम होने के कारण ही इस वंश का नाम गुलाम वंश पड़ा। ऐबक चार साल तक दिल्ली का सुल्तान बना रहा।
कैसे Jatis के मामलों विनियमित किया गया?
इसे सुनेंरोकेंब्रिटिश भारत में 1850 के जाति विकलांगता हटानेके अधिनियम XXI (Caste Disabilities Removal Act XXI) के अंतर्गत जातीय भेदभाव तथा अस्पृश्यता के विरुद्ध कानूनी प्रतिबंध लगाया गया था। बाद में, भारत सरकार अधिनियम 1935 ने अनुसूचित जाति के लोगों को विशेष संरक्षा प्रदान की।
फारसी तवारीख के लेखक सुल्तान की आलोचना क्यों करने लगे?
इसे सुनेंरोकेंसुलतानों द्वारा निचले तबके के लोगों को संरक्षण दिए जाने के कारण उच्च वर्ग के कई लोगों को गहरा धक्का भी लगता था और फ़ारसी तवारीख के लेखकों ने ‘निचले खानदान’ के लोगों को ऊँचे पदों पर बैठाने के लिए दिल्ली के सुलतानों की आलोचना भी की है।
दीवान ए अर्ज क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइसका महत्वपूर्ण कार्य सैनिकों की भर्ती करना, सैनिकों और घोड़ों को रखना, रसद की व्यवस्था करना, सेना का निरीक्षण करना और सेना की सजावट की व्यवस्था करना था। ‘आरिज-ए-मुमालिक’ के विभाग को ‘दीवान-ए-अर्ज’ कहा जाता था। इस विभाग की स्थापना गयास-उद-दीन बलबन ने की थी और अलाउद्दीन खिलजी के समय में इसका महत्व बढ़ गया था।
अस्पृश्यता अपराध अधिनियम कब बना?
इसे सुनेंरोकें6.2 संसद ने संविधान के अनुच्छेद 17 में की गई घोषणा को मूर्त रूप देने के लिए अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 पारित किया, जो अस्पृश्यता आदेश, 1950 का एक सुधरा हुआ रूप था, और यह 01.06.1955 को लागू हुआ।
आपके ख्याल से बनी ने सुल्तान की आलोचना क्यों की थी?
इसे सुनेंरोकेंये लोग सुल्तान को चापलूसी करके बड़े पद पाए थे इनके अंदर बड़े पद पाने की योग्यता | नहीं थी, इसलिए इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी ने इन नियुक्तियों का उल्लेख सुल्तान के राजनीतिक विवेक के नाश और शासन करने की अक्षमता के उदाहरणों के रूप में किया है।
तारिख और तवारीख से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. ¿ तारीख/तवारीख से आप क्या समझते हैं? ➲ तारीख और तवारीख इतिहास संबंधी घटनाएं हैं, जो दिल्ली सल्तनत के समय फारसी भाषा में सुल्तानों के बारे में लिखे जाते थे। तवारीख के लेखक सचिव, प्रशासक, कवि और दरबारियों जैसे गणमान्य व्यक्ति होते थे, जो इन घटनाओं का वर्णन करते थे और शासकों को प्रशासन संबंधी सलाह भी देते थे।