निम्नलिखित में से कौन वेक्टर जनित रोग के संचरण को रोकने का तरीका नहीं है?

निम्नलिखित में से कौन वेक्टर जनित रोग के संचरण को रोकने का तरीका नहीं है?

महामारी विज्ञान के अनुसार वेक्‍टर ऐसे जीव समूह हैं जो रोगाणुओं और परजीवियों को किसी संक्रमित व्‍यक्ति (अथवा पशु) से अन्‍य व्‍यक्ति तक पहुंचाते हैं।…संक्रामक बीमारियां और जलवायु का आपसी संबंध

क्रम सं0 13.
रोग का नाम जापानी दिमागी बुखार (एन्‍सेफलाइटिस)
रोगाणुवाहक जीव (वेक्‍टर) क्‍यूलेक्‍स मच्‍छर
कारक जीवाणु वायरस

निम्नलिखित में से कौन सी बीमारी कीट वेक्टर के द्वारा संचित होती है?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्यों में सामान्य वेक्टर-जनित रोगों में डेंगू बुखार, जापानी एन्सेफलाइटिस, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और चित्तीदार बुखार (स्पॉटेड फीवर) शामिल हैं। डेंगू बुखार, जापानी इंसेफेलाइटिस, मलेरिया और ज़ीका वायरस को फैलाने के लिए मच्छर जिम्मेदार होते हैं जबकि स्क्रब टाइफस और चित्तीदार बुखार घुन और किलनियों द्वारा फैलते हैं।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कितनी बीमारियों को कवर किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंअनेक राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग क्षमता निर्माण के माध्यम से मानव संसाधन विकास, नियंत्रण, कुष्ठ रोग उन्मूलन, क्षयरोग नियंत्रण, दृष्टिहीनता नियंत्रण शामिल हैं। तथा आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण अब राष्ट्रीय ग्रामीण।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंराष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम निदेशालय (एनवीबीडीसीपी), वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए केंद्रीय नोडल एजेंसी है। 1) राष्ट्रीय मलेरिया रोधी कार्यक्रम। 2) कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम। 3) राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम।

निम्नलिखित में से कौन एक वेक्टर जनित रोग है?

इसे सुनेंरोकेंवेक्टर-जनित बीमारी – ये परजीवी, वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले रोग हैं जो वैक्टर द्वारा प्रेषित होते हैं। उदाहरण: डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार, जीका, आदि। मलेरिया एक वेक्टर जनित बीमारी है जो एनोफेलीज मच्छर के कारण होती है।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत क्या आता है?

इसे सुनेंरोकेंराज्य में मलेरिया एवं अन्य वैक्टर जनित रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय वैक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2015 में 1979 गांवों के 777 उप केन्द्रों में 25.37 लाख की अति संवेदनशील जनसंख्या क्षेत्र पर डीडीटी का छिडकाव करवाया गया।