कैप्टेन कौन था वह क्या करता था?

कैप्टेन कौन था वह क्या करता था?

इसे सुनेंरोकेंकैप्टन फेरी लगाकर चश्मे बेचने वाला एक मरियल और लँगड़ा-सा व्यक्ति था, जो हाथ में संदूकची और एक बाँस में चश्मे के फ्रेम टाँगे घूमा करता था।

कैप्टन का वास्तविक नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंquestion. ‘स्वयं प्रकाश’ द्वारा लिखित “नेताजी की चश्मा” कहानी में कैप्टन नाम का व्यक्ति कोई सेना का वास्तविक कैप्टन नही था। बल्कि उसकी देशभक्ति से संबंधित हरकतों के लिये लोग उसे कैप्टन कहते थे। कैप्टन एक बूढ़ा, लंगड़ा, कमजोर सा गरीब आदमी था, जो चश्मा बेचने का काम करता था।

कैप्टन चश्मे वाला कौन था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. ✒ कैप्टन देशभक्त तथा शहीदों के प्रति आदरभाव रखने वाला व्यक्ति था। वह नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर दुखी होता था। वह मूर्ति पर चश्मा लगा देता था पर किसी ग्राहक द्वारा वैसा ही चश्मा माँगे जाने पर उतारकर उसे दे देता था और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा दिया करता था।

हालदार साहब के मन में कौतुक और प्रफुल्लता के भाव क्यों उठते थे?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: हालदार साहब के लिए ये कौतुहल दुर्दमनीय हो उठा :- हालदार साहब जब भी नेताजी की मूर्ती को देखते उस पर अलग चश्मा लगा होता। एक बार हालदार साहब ने पानवाले से पूछ लिया, की नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है। उम्मीद ह इससे आपको सहायता मिलेगी।

चश्मेवाले को पानवाला क्या समझता था A कैप्टन B पागल C ईमानदार D गरीब?

इसे सुनेंरोकेंचश्मे वाले को पान वाला पागल समझता था। जब हालदार साहब पान वाले से कैप्टन चश्मे वाले के बारे में पूछने लगे, क्या कैप्टन चश्मे वाला नेता जी का साथी है या आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही? तब पान वाले ने चश्मे वाले का मजाक उड़ाते हुए कहा, नहीं साहब, वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है, पागल, वह देखो वह आ रहा है।

कैप्टन चश्मे वाला सिर पर क्या पहनता था *?

इसे सुनेंरोकेंकैप्टन चश्मे वाला एक दुबला-पतला बुढा था उसकी टांग नहीं थी। सिर पर गांधी टोपी थी। उसने आँखों पर काला चश्मा लगा रखा था। उसके एक हाथ में छोटी-सी संदूकची थी और दूसरे हाथ में एक बांस पर लटके हुए चश्मे थे।

कैप्टन चश्मे वाले को कौन सी चीज आहत करती थी *?

इसे सुनेंरोकेंनेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उसे आहत करती थी। वह अपने हृदय में देश के लिए त्याग एवं समर्पण की भावना किसी फौजी कैप्टन के समान ही रखता था। यद्यपि उसका व्यक्तित्व किसी सेनानी जैसा तो नहीं था पर उपर्युक्त गुणों के कारण लोग उसे कैप्टन कहते थे।

नेताजी का चश्मा पाठ में कैप्टन कौन था *?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर –चश्मेवाला स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सैनिकों व नेताओं का अपने हृदय से सम्मान करता था और उसे नेताजी को बिना चश्मे के देखना कतई पसंद नहीं था। वह खुद भी देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत था। उसके अंदर देशभक्ति की इसी भावना को देख लोग उसे ” कैप्टन” बुलाते थे।

मूर्ति को देखकर हालदार साहब के मन में कैसे भाव उठते थे?

इसे सुनेंरोकेंAnswer. हालदार साहब के मन में अवश्य ही देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना थी जो सुभाष की मूर्ति को देखकर प्रबल हो उठती थी। देश के लिए सुभाष के किए कार्यों को यादकर उनके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती थी। इस कारण हालदार साहब चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारते रहते थे।