मकर संक्रांति उत्सव क्यों मनाया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंक्यों मनाते हैं मकर संक्रांति : यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।
मकर संक्रांति 2022 क्यों मनाई जाती है?
इसे सुनेंरोकेंसूर्य एक साल में 12 राशियों में क्रमश: गोचर करते हैं, वह जिस राशि में प्रवेश करते हैं, उसकी संक्रांति होती है. 14 जनवरी 2022 को सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं, इसलिए यह सूर्य की मकर संक्रांति है. हालांकि इस वर्ष मकर संक्रांति का स्नान और दान 15 जनवरी को होगा.
मकर संक्रांति का त्योहार कैसे मनाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व, इसलिए अधिक है कि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। * इस दिन प्रातःकाल उबटन आदि लगाकर तीर्थ के जल से मिश्रित जल से स्नान करें। * यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें। * तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।
मकर संक्रांति कैसे बनाते हैं?
इसे सुनेंरोकेंMakar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा और इस दिन खिचड़ी बनाई जाती है. यह रिवाज सालों से चला आ रहा है और इस दिन स्नान, दान और पूजा की जाती है. यह त्योहार सूर्य देव को समर्पित होता है और इस दिन लोग सुबह जल्दी स्नान करके उनकी पूजा करते हैं.
मकर संक्रांत कैसे मनाई जाती है?
इसे सुनेंरोकेंभारत में मकरसंक्रांति के विभिन्न रूप बहुएँ घर-घर जाकर लोकगीत गाती हैं और और मूंगफली, तिल की बनी हुई गजक और रेवड़ियाँ आपस में बांटी जाती है. इस अवसर पर लोग मक्के की रोटी और सरसों का साग का आनन्द उठाते हैं. तमिलनाडु- इस त्यौहार को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है.
मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही क्यों मनाई जाती है?
इसे सुनेंरोकेंपौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वर्तमान शताब्दी में यह त्योहार जनवरी माह के चौदहवें या पन्द्रहवें दिन ही पड़ता है, इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है।
मकर संक्रांति पर किसकी पूजा होती है?
इसे सुनेंरोकेंमकर संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा की पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत रखा जाता है और दिनभर श्रद्धा के अनुसार दान दिया जाता है। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होता है इसलिए इन सब चीजों का महत्व और बढ़ जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन तीर्थ या गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।