श्लेष का शाब्दिक अर्थ क्या है 1 Point?
इसे सुनेंरोकेंसंयोग ; मिलाप 2. लगाव ; जुड़ाव ; सटाव 3. आलिंगन ; परिरंभण 4. (काव्यशास्त्र) एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ होना 5.
श्लेष का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंअर्थात श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ,जब एक शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। अर्थात जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उसके अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
श्लेष अलंकार का अर्थ क्या है?
इसे सुनेंरोकेंश्लेष अलंकार की परिभाषा जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है। रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।। इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।
श्लेष अलंकार का उदाहरण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंश्लेष अलंकार के उदाहरण रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
शुभम को ढूंढ फिरत कवि व्यभिचारी चोर में कौन सा अलंकार है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: इन पंक्तियों में श्लेष अलंकार है श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ । जहां एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हो और एक से अधिक अर्थ प्रकरण में अपेक्षित हो वहां पर श्लेष अलंकार होता है अर्थात बिना आवृत्ति के ही संदर्भ के अनुसार जब भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हैं तब वहां पर श्लेष अलंकार द्वारा चमत्कार उत्पन्न होता है ।
श्लेष अलंकार का उदाहरण कौन सा नहीं है?
इसे सुनेंरोकेंनिम्नलिखित में से कौन-सा श्लेष अलंकार का उदाहरण नहीं है?(क) मंगन को देखि पट देत बार बार है। (ख) कहै कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराय लीनी। (ग) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सूना पानी गए न ऊबरे, माती मानुषचना (घ) जा रहीम गति दीप की, कुल कपूत की सोय।
श्लेष अलंकार की पहचान कैसे करें?
इसे सुनेंरोकेंपहचान :- श्लेष अलंकार की पहचान शब्दों के आपस में चिपके होने से की जाती है। अर्थात एक ही शब्द में दो अर्थ चिपके होते हैं , वहां श्लेष अलंकार होता है। शब्द तो एक होते हैं , किंतु उस शब्द के साथ अनेकों अर्थ चिपके होते हैं वहां श्लेष अलंकार होता है। जो रहीम गति दीप की , कुल कपूत की सोय।
Shlesh अलंकार कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंश्लेष अलंकार – Shlesh alankar. यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत माना गया है। शब्दालंकार में – अनुप्रास अलंकार , यमक अलंकार , को भी माना गया है। परिभाषा :- काव्य में जहां शब्द एक बार प्रयोग होता है किंतु उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं , अर्थात उसके अर्थ दो या दो से अधिक निकलते हैं वहां श्लेष अलंकार माना जाता है।
मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियां में अलंकार?
इसे सुनेंरोकेंवाक्य में प्रयोग – मधुबन की छाती को देखो,मुरझाई कितनी कलियाँ में कलियाँ के दो अर्थ हैं,एक फूलों के खिलने के पहले की अवस्था तथा दूसरा नवयवना के लिए है इसलिए यह श्लेष अलंकार है ।