भोलाराम का जीव हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित व्यंग्य का अभिप्राय क्या है?

भोलाराम का जीव हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित व्यंग्य का अभिप्राय क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनारद भोलाराम के जीव से कहते हैं, ‘मै तुम्हें लेने आया हूँ। चलो, स्वर्ग में तुम्हारा इन्तजार हो रहा है ‘ पर भोलाराम के जीव की विवशता है कि वह पेंशन की दरख्वास्ते छोड़कर नहीं जा सकता। इसी कथा – सूत्र के व्यंग्यात्मक उपयोग द्वारा लेखक ने भ्रष्टाचार के अमानवीय रूप पर मार्मिक चोट की है।

साहब ने भोलाराम के पेंशन मे देर होने की क्या वजह बताई?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: भोलाराम ने दरखास्त तो भेजी थी, पर उन पर वजन नहीं रखा था, इसलिए कहीं उड़ गई होगी, ऐसा कहने से दफ्तर के बाबू का आशय यह था कि भोलाराम ने पेंशन मंजूर करवाने के लिए सरकारी कर्मचारियों को देने के लिए दरख्वास्तों के साथ पैसे नहीं रखे थे।

भोलाराम के जीव को किसने और कैसे ढूंढा विस्तार से बताइए?

इसे सुनेंरोकें✎… ‘भोलाराम का जीव’ पाठ में भोलाराम के जीव को नारद मुनि ने ढूंढ निकाला था। जब परलोक में चित्रगुप्त ने पृथ्वी पर हाल ही में मृत्यु को प्राप्त हुए जीवो के रजिस्टर का ब्यौरा चेक किया तो उसमें भोलाराम के जीव की उपस्थिति नहीं थी। उन्हें पता चला कि यमदूत द्वारा भोलाराम के जीव को लाते समय वह रास्ते में कहीं गुम हो गया।

भोलाराम का जीव अपनी पेंशन की फाइल से क्यों चिपका हुआ था मरने पर भी उसे क्यों छोड़ना नहीं चाहता था?

इसे सुनेंरोकेंभोलाराम का जीव अपनी पेन्शन की फाइल में जा छिपा था। अपनी पेन्शन का दिन-रात इन्तजार करते हुए ही उसकी मृत्यु हुई थी। अतः मरते समय पेन्शन ही उसके मन पर छाई रही। इसी कारण वह पेन्शन की फाइल के मोह से ग्रस्त होकर उसमें छिप गया और वहाँ से स्वर्ग जाने को भी राजी नहीं हुआ।

भोलाराम कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंचित्रगुप्त ने रजिस्टर देखकर बतलाया – ”भोलाराम नाम था उसका। जबलपुर शहर के घमापुर मुहल्ले में नाले के किनारे एक डेढ क़मरे के टूटे-फूटे मकान पर वह परिवार समेत रहता था। उसकी एक स्त्री थी, दो लडक़े और एक लड़की। उम्र लगभग 60 वर्ष।

भोलाराम का जीव कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंखुलेआम काम कराने की फीसे वसूली जाती हैं। इस क्रूर और निंदनीय स्थिति से छुटकारा पाने का उपाय यही है कि जनता इसके विरुद्ध उठ खड़ी हो। प्रशासन और जनसहयोग दोनों के सम्मिलित और ईमानदार प्रयास से ही यह कैंसर काबू में आएगा। यही कहानी का संदेश है।