निम्नलिखित में से कौन सी कृति खंडकाव्य है?
इसे सुनेंरोकेंउपरोक्त चारों काव्य कृतियां हिंदी के प्रसिद्ध कवि ‘रामनरेश त्रिपाठी’ द्वारा रचित रचनाएं हैं। ‘मानसी’ एक कविता संग्रह है, जबकि ‘पथिक’, ‘स्वप्न’, और ‘मिलन’ खंडकाव्य रचनाएं हैं। इन चारों कृतियों की रचना रामनरेश त्रिपाठी ने की थी।
खण्ड काव्य में कितने सर्ग?
इसे सुनेंरोकें4. खंडकाव्य में किसी घटना या जीवन के एक अंश का वर्णन होता है। 5. खंडकाव्य में एक या दो सर्ग होते हैं।
रामचरितमानस क्या है खंडकाव्य महाकाव्य?
इसे सुनेंरोकेंरामचरितमानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः ‘तुलसी रामायण’ या ‘तुलसीकृत रामायण’ भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है।
कितने प्रश्न करूँ खंडकाव्य?
इसे सुनेंरोकें’ कितने प्रश्न करूँ’ खण्डकाव्य का उद्देश्य । प्रयोजनमूलक हिंदी प्रश्नपत्र 1 (शैक्षिक वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22) (प्रस्तुत पाठयक्रम का निर्माण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली की मॉडल पाठ्यचर्या ( ) के आलोक में किया गया हैं।) हिंदी के व्यावहारिक पक्ष से परिचित कराना।
पथिक में कितने सर्ग है?
प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार रामनरेश त्रिपाठी के प्रेमाख्यानक खण्ड काव्यों में रचनाक्रम की दृष्टि से ‘पथिक’ उनकी महत्त्वपूर्ण दूसरी कृति है। रामनरेश त्रिपाठी की यह रचना वर्ष 1920 ई….संबंधित लेख
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आदि काल | संदेशरासक · वीसलदेव रासो · थूलिभद्दफाग |
खंडकाव्य और महाकाव्य कौन कौन से हैं?
हिंदी साहित्य के महाकाव्य और खण्डकाव्य
- चंदबरदाईकृत पृथ्वीराज रासो को हिंदी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है।
- मलिक मुहम्मद जायसी – पद्मावत
- तुलसीदास – रामचरितमानस
- आचार्य केशवदास – रामचंद्रिका
- मैथिलीशरण गुप्त – साकेत
- अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ –प्रियप्रवास
- द्वारका प्रसाद मिश्र – कृष्णायन
- जयशंकर प्रसाद – कामायनी
तुमुल किसकी रचना है?
इसे सुनेंरोकेंतुमुल / श्यामनारायण पाण्डेय – कविता कोश
कितने प्रश्न करूँ खण्डकाव्य के प्रथम सर्ग का शीर्षक है?
इसे सुनेंरोकेंश्री केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ द्वारा रचित ‘कर्ण’ नामक खण्डकाव्य की कथावस्तु सात सर्गों में विभक्त है। इसकी कथावस्तु महाभारत के प्रसिद्ध वीर कर्ण के जीवन से सम्बद्ध है। प्रथम सर्ग (रंगशाला में कर्ण) में कर्ण के जन्म से लेकर द्रौपदी के स्वयंवर तक की कथा का संक्षेप में वर्णन है।