भीष्म पितामह पांडवों के कौन थे?

भीष्म पितामह पांडवों के कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंमहाभारत के महायोद्धाओं में प्रमुख भीष्म पितामह देवी गंगा और राजा शांतनु के पुत्र थे। स्वर्गलोक में ब्रह्मा जी द्वारा दिए गए एक शाप के कारण देवी गंगा और शांतनु को पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा था। इनकी आठवीं संतान थे देवव्रत, जो आगे चलकर भीष्म और फिर भीष्म से भीष्म पितामह बने।

महाभारत का मूल प्रारंभिक नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंसबसे पहले जवाब दिया गया: ‘महाभारत’ का मूल नाम क्या है? महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत भाषा में की थी। पहले इसका नाम ‘ जय संहिता ‘ था, बाद में यह भारत और फिर महाभारत के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भीष्म पितामह को कौन सा श्राप लगा था?

इसे सुनेंरोकेंइस श्राप की बात जब वसुओं ने गंगा को बताई तो गंगा ने कहा कि मैं तुम सभी को अपने गर्भ में धारण करूंगी और तत्काल मनुष्य योनि से मुक्ति दिला दूंगी। इसी श्राप के कारण भीष्म को पृथ्वी पर रहकर दुख भोगने पड़े। गंगा जब शांतनु के आठवे पुत्र को साथ लेकर चली गई तो वे बहुत उदास रहने लगे।

भीष्म पितामह बाणों की शैया पर क्यों लेटे थे?

इसे सुनेंरोकेंभीष्म पितामह छः महीने तक बाणों की शैय्या पर लेटे थे। शैय्या पर लेटे-लेटे वे सोच रहे थे कि मैंने कौन-सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करने पड़ रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने तब उन्हें उनके उस पाप के बारे में बताया था, जिसके कारण उन्हें यह कष्ट झेलना पड़ा।

भीष्म पितामह धृतराष्ट्र के कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंभीष्म पितामह धृतराष्ट्र और पांडु का यह सोचकर साथ दे रहे थे कि वे मेरे पिता के पुत्र के पुत्र हैं और वेदव्यास यह सोचकर साथ थे कि वे सभी मेरे पुत्र हैं। दूसरी ओर धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के पिता तो एक ही थे परंतु माताएं अलग अलग थी फिर भी विदुर को क्यों नहीं बराबरी का दर्जा मिला?

पितामह अर्जुन के कौन थे?

इसे सुनेंरोकेंपांडु के पिता का नाम विचित्रवीर्य था। विचित्रवीर्य के दो भाई थे चित्रांगद और देवव्रत (जिसे हम पितामह भीष्म के नाम से जाते) हैं। और उनके पिता यानी विचित्रवीर्य के पिता का नाम महाराज शांतनु था। अगर हम महानायक अर्जुन के पितामहा यानी दादा की बात करें, तो उनके दादा विचित्रवीर्य थे।

महाभारत के आख्यान शिक्षक में क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमहाभारत में अनेक आख्यानों एवं उपाख्यानों का संकलन है, इसलिए इसे आख्यानकाव्य कहा गया होगा। रामायण को भी आख्यान संज्ञा देने का कारण संभवतः यही रहा होगा। हिंदी में “आख्यान” शब्द प्राय: साधारण कथा या वृत्तान्त के रूप में ही प्रयुक्त होता है।