कावड़ यात्रा कब से शुरू?

कावड़ यात्रा कब से शुरू?

इसे सुनेंरोकेंकांवर यात्रा (कावड़ यात्रा) शिव के भक्तों की एक वार्षिक तीर्थ यात्रा है, जिसे उत्तराखंड के हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री के हिंदू तीर्थ स्थानों में गंगा नदी के पवित्र जल को लाने के लिए कांवरिया (कावड़िया) के रूप में जाना जाता है। त्योहार मानसून माह श्रावण (जुलाई-अगस्त) के दौरान चलते हैं।

कावड़ यात्रा का क्या हुआ?

इसे सुनेंरोकें– कांवड़ यात्रा का इतिहास परशुराम भगवान के समय से जुड़ा हुआ है. परशुराम शिव जी के परम भक्त थे. मान्यता है कि एक बार वे कांवड़ लेकर यूपी के बागपत जिले के पास ‘पुरा महादेव’ गए थे. उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था.

चार धाम यात्रा २०२१ कब शुरू होगी?

इसे सुनेंरोकेंचारधाम यात्रा 2021: एक अक्तूबर से शुरू होगी केदारनाथ के लिए हेली सेवा, रोजाना जारी होंगे 200 ई-पास

सावन की कावड़ कब चलेगी?

इसे सुनेंरोकेंसावन मास की धार्मिक परंपरा के तहत 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा प्रस्तावित थी।

क्या कावड़ यात्रा होगी?

इसे सुनेंरोकेंपरंपरागत रूप से 25 जुलाई से शुरु होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर राज्‍य सरकार हर स्थिति के हिसाब से तैयारी कर रही है। कोरोना महमारी को देखते हुए सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है । इसके लिये अधिकारियों को कांवड़ संघों से बातचीत करने को कहा गया है जिससे यात्रा के आयोजन को लेकर सही फैसला लिया जा सके।

चार धाम यात्रा चालू हो गई क्या?

इसे सुनेंरोकेंदेवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ ने बताया कि 18 सितंबर से चारधाम यात्रा शुरू हुई थी। अब तक चारधामों में दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या एक लाख पार हो चुकी है।

क्या चार धाम यात्रा शुरू हो गयी है?

इसे सुनेंरोकेंप्रदेश में चारधाम यात्रा 18 सितंबर को शुरू हुई थी, रविवार तक 17552 तीर्थयात्री चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं। 15 अक्तूबर तक चारों धामों में इस संख्या के आधार पर पंजीकरण फुल हो चुके हैं। इसी समस्या से पार पाने के लिए अब सरकार ने फिर हाईकोर्ट जाने का मन बना लिया है।

कावड़ यात्रा कब से शुरू होगी 2021 devghar?

इसे सुनेंरोकेंइसी साल 25 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो रहा है लेकिन अभी तक देवघर जिला प्रशासन की ओर से मेले को लेकर कोई तैयारी नहीं हुई है. यह इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार देवघर के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कांवड़ियों का मेला और जमावड़ा नहीं होने देगी, जिसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है.