वाजश्रवा कौन था?

वाजश्रवा कौन था?

इसे सुनेंरोकेंवाजश्रवा हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक ब्राह्मण थे। इन्हें नचिकेता का पिता कहा गया है। नचिकेता कठोपनिषद के अनुसार वाजश्रवा नामक ब्राह्मण के पुत्र थे।

नचिकेता के पिता का नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवाजश्रवा नाम के ऋषि की संतान थे नचिकेता। वाजश्रवा ने एक यज्ञ का आयोजन किया, यज्ञ की समाप्ति पर वो ब्राह्मणों और जरुरतमंदों को दान दे रहे थे।

नचिकेता क्यों दुखी हुआ?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: नचिकेता पिताजी को लोभवश बूढ़ी गाय दान देते देखकर दुःखी हुआ। उसने पिताजी से कहा “पिताश्री आपने तो इस महायज्ञ में अपना सर्वस्व दान में देने का निश्चय किया था। लेकिन आपने अपने प्रियवस्तु को नहीं देकर बूढ़ी और दूध नहीं देने वाली गाय क्यों दान कर रहे हैं।

नचिकेता प्रथम वर्ष के रूप में क्या मांगता है?

इसे सुनेंरोकेंनचिकेता अपना प्रथम वरदान यमराज से मांगता है। – हे मृत्यु !

महर्षि वाजश्रवा ने कौन सा यज्ञ किया था?

इसे सुनेंरोकेंएक बार महर्षि वाजश्रवा ने ‘विश्वजीत’ यज्ञ किया और उन्होंने प्रतिज्ञा की कि इस यज्ञ में मैं अपनी सारी संपत्ति दान कर दूंगा. कई दिनों तक यज्ञ चलता रहा.

नचिकेता की कहानी कहाँ से ली गई है?

इसे सुनेंरोकेंNachiketa Story in Hindi: नचिकेता की कथा का वर्णन तैतरीय ब्राह्मण, कठोपनिषद् और महाभारत में मिलता है. नचिकेता एक बालक था, जिसने यम के जरिए सच्चा ज्ञान प्राप्त किया था. Nachiketa Story: नचिकेता ने छोटी सी उम्र में ही उस ज्ञान को प्राप्त किया था, जिसे बड़े-बड़े ज्ञानी भी प्राप्त नहीं कर सके थे.

कठोपनिषद किसकी रचना है?

इसे सुनेंरोकेंकठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है। कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखा है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।

नचिकेता ने पहला वर्ड क्या मांगा?

इसे सुनेंरोकेंतीन दिनों तक नचिकेता यमलोक के द्वार पर ही बैठकर यमराज का इंतजार करता है. जब ये बात यमराज को पता चली तो एक बालक की इस निष्ठा को देखकर प्रभावित हुए और उसे अपने पास बुलाकर तीन वरदान मांगने को कहा. नचिकेता ने पहले वरादन के तौर पर पिता के क्रोध को शांत करने का वरदान मांगा, जिसे यम ने स्वीकार कर लिया.

नचिकेता बड़ा होकर क्या बना था?

इसे सुनेंरोकें’ उसके बाद यमराज ने नचिकेता को आशीर्वाद देकर उसे उसके पिता के पास वापस भेज दिया। वहां से लौटने के बाद नचिकेता अध्ययन में लग गया, क्योंकि जीवन की सही राह उसे प्राप्त हो चुकी थी। उसी राह पर चलकर वह एक बहुत बड़ा विद्वान बना और सारे संसार में उसका नाम अमर हो गया।