वीर सिंह का प्राण अंत कैसे हुआ?

वीर सिंह का प्राण अंत कैसे हुआ?

वीर सिंह,भारत के उत्तर प्रदेश की सोलहवीं विधानसभा सभा में विधायक रहे।…

वीर सिंह
कार्यकाल 2012 से 2017
राष्ट्रीयता भारतीय

वीर सिंह कौन सी जाति का वंशज था?

इसे सुनेंरोकेंवीरसिंह देव बुन्देला, बुन्देलखण्ड के सबसे प्रतापी राजा थे । वे राजा मधुकर शाह बुन्देला के पुत्र थे। माता कुंवर गनेशी बाई जो भगवान राम की अनन्य भक्त थीं। इन्होने बहुत किले व तालाबों का निर्माण अपने राज्यकाल में कराया।

राजा वीरसिंह देव की राजधानी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमहाराजा वीर सिंह देव बुंदेला (1605-1627 ई.) ओरछा के सबसे प्रसिद्ध शासक थे। उनके काल को बुंदेला वंश के इतिहास में स्वर्ण काल के रूप में वर्णित किया गया है। उसकी राजधानी गहोरा थी।

निर्दोष प्राणों की बलि जाने का क्या कारण था?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: महाराणा अपनी विजय को पराजय इसलिए कहते हैं क्योंकि उनके व्यर्थ के अभिमान और विवेकहीन प्रतिज्ञा ने कितने ही निर्दोष प्राणों की बलि ले लीं थी।

वीर मातृभूमि पर क्या करने जा रहे हैं?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: प्रस्तुत एकांकी ‘मातृभूमि का मान’ शीर्षक सार्थक है क्योंकि यहाँ मातृभूमि के मान के लिए ही महाराणा लाखा, बूँदी के नरेश तथा वीर सिंह लड़ते है तथा वीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

राजा वीर सिंह के पुत्र का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंवीरसिंह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जुझार सिंह जागीर का उत्तराधिकारी बना था।

वीर सिंह बुंदेला ने किसकी हत्या की?

इसे सुनेंरोकेंसलीम के उकसाने पर ही वीरसिंह बुन्देला ने बादशाह अकबर के विश्वसनीय मित्र और परामर्शदाता तथा विद्वान अबुल फ़ज़ल की 1602 ई. में हत्या कर दी थी।

विवेकहीन प्रतिज्ञा क्या थी यह विवेकहीन क्यों थी?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: इस मिट्टी के दुर्ग को मिट्टी में मिलाने से मेरी आत्मा को संतोष नहीं होगा, लेकिन अपमान की वेदना में जो विवेकहीन प्रतिज्ञा मैंने कर डाली थी, उससे तो छुटकारा मिल ही जाएगा। महाराणा की प्रतिज्ञा विवेकहीन क्यों थी? उत्तर: महाराणा ने बिना सोचे समझे प्रतिज्ञा की थी इसलिए यह विवेकहीन थी।

हाड़ा राजपूतों को क्या स्वीकार नहीं है?

इसे सुनेंरोकेंउ: ‘प्रेम के अनुशासन का तात्पर्य यह है कि हाडा वंश किसी की भी गुलामी स्वीकार नहीं करेगा। वह सिसौदिया वंश का आदर करता रहा और आगे भी करता रहेगा किन्तू अधीनता स्वीकार करना उसे पसंद नहीं था। चाहे वह विदेशी शक्ति हो चाहे वह मेवाड का महाराणा हो। प्रेम के अनुशासन मानने को हाडा वंश सदा तैयार है।

हाड़ाओं ने किस प्रकार वीरता का परिचय दिया और इसका क्या परिणाम निकला?

इसे सुनेंरोकेंवे अत्यन्त स्वाभिमानी, देशभक्त, कर्त्तव्यपरायण, निर्भीक सच्चे राजपूत वे हैं। अपनी जाति पर उन्हें गर्व है । अभयसिंह के संदेश को सुनकर वे निर्भीकता से कहते हैं कि हाड़ा वंश किसी की गुलामी स्वीकार नहीं करेगा। वे एक साहसी, कुशल शासक तथा राजपूतों के गौरव के प्रतीक हैं।

वीरसिंह को कौन सी भूमि अपने प्राणों से अधिक प्रिय है *?

इसे सुनेंरोकेंवीरसिंह ने अपनी मातृभूमि बूँदी के नकली दुर्ग को बचाने के लिए अपने साथियों के साथ प्रतिज्ञा ली कि प्राणों के होते हुए हम इस नकली दुर्ग पर मेवाड़ की राज्य पताका को स्थापित न होने देंगे तथा दुर्ग की रक्षा के लिए अपने प्राण की आहुति दे दी।

बुंदेला विद्रोह क्या था?

इसे सुनेंरोकें1842 में ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ सागर-नर्मदा क्षेत्र में एक विद्रोह हुआ, जो मध्य प्रदेश के इतिहास में बुंदेला विद्रोह बन गया। चंद्रपुर के जवाहर सिंह बुंदेला और नरहट के मधुकर शाह विद्रोह के नेता थे। वे मदनपुर के गोंड राजा दिलन शाह, हीरापुर के राजा हीरा शाह, और नरसिंहपुर के लोगों सहित कई अन्य प्रमुखों में शामिल हुए।