श्यामनगर के राजा साहब ने लुट्टन को सिंह की उपाधि क्यों दी थी?
इसे सुनेंरोकें1. जिस दिन लुट्टन सिंह ने श्यामनगर के दंगल में नामी और प्रसिद्ध पहलवान चाँद सिंह को हराया, उसी दिन से उसकी कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। 2. लुट्टन सिंह पहलवान इसलिए प्रसिद्ध हुआ, क्योंकि उसने ‘शेर के बच्चे’ नाम से प्रसिद्ध चाँद सिंह पहलवान को हराया था।
लुट्टन सिंह को किसकी उपाधि प्राप्त हुई?
इसे सुनेंरोकेंचाँद सिंह पहले ही शेर के बच्चे की उपाधि प्राप्त कर चुका था लेकिन लुट्टन सिंह पहली बार ही दंगल में लड़ा था। इसीलिए राजा साहब ने कुश्ती बीच में रुकवा दी। 4. राजा साहब ने लुट्टन सिंह पहलवान को दस रुपये का नोट दिया क्योंकि उसने ‘शेर के बच्चे’ नामक बलशाली पहलवान से लड़ने की हिम्मत की थी।
लुट्टन सिंह ने विजयी होने के पश्चात् किसे और क्यों सबसे पहले प्रणाम किया?
इसे सुनेंरोकेंलुट्न पहलवान का जीवन उतार-चढ़ावों से भरपूर रहा। जीवन के हर दुख-सुख से उसे दो-चार होना पड़ा। सबसे पहले उसने चाँद सिंह पहलवान को हराकरे राजकीय पहलवान का दर्जा प्राप्त किया। फिर काला खाँ को भी परास्त कर अपनी धाक आसपास के गाँवों में स्थापित कर ली।
िुट्टन पहिवान ने ऐसा क्यों िहा कि मेरा गुरु िोई पहिवान नहीं यही ढोि है?
इसे सुनेंरोकेंलुट्टन पहलवान का कोई गुरु नहीं था। ढोल की थाप से उसकी नसें उत्तेजित हो जाती और वह लड़ने के लिए तत्पर हो जाता। इस तरह लुट्टन पहलवान स्वतः ही ढोल की ध्वनि से कुश्ती के दांव-पेच सीखता चला गया, इसलिए पहलवान ने ऐसा कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है।
कहानी के किस किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या क्या परिवर्तन आए?
इसे सुनेंरोकेंबचपन में वह गाय चराता तथा गाय का ताजा दूध पीता था और कसरत करता था। लुट्टन के जीवन में कसरत की धुन सवार होने का भी एक कारण था। गाँव के लोग उसकी सास को तकलीफ दिया करते थे। उन लोगों से बदला लेने के लिए ही वह कसरत की ओर मुड़ा ताकि शरीर को मजबूत बना सके।
राजा ने लोटन से क्या कहा है?
इसे सुनेंरोकें➲ राजा ने लुट्टन पहलवान से कहा, जीते रहो बहादुर तुमने मिट्टी की लाज रख ली। ✎… ‘पहलवान’ की ढोलक कहानी में ये घटना उस समय की है, जब लुट्टन पहलवान ने चाँद सिंह पहलवान को पराजित किया था। तब राजा ने खुश होकर लुट्टन पहलवान को गले से लगाकर ये बात कही और फिर अपने दरबार में लुट्टन पहलवान को रख लिया।