राजभरों का इतिहास क्या है?

राजभरों का इतिहास क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइन्हे राजभर भी कहते हैं। ये भारशिव नागवंशी क्षत्रिय समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। प्राचीन भारत में इनका राज्य अवध से रीवा तक फैला था। इस वंश के सबसे महान राजा महाराजा सुहेलदेव थें जिन्होंने ग्यारहवीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रांताओं से भारतवर्ष राष्ट्र की रक्षा की।

राजभरों का गोत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकें👉 राजभर वंश का गोत्र महाराजा भारद्वाज जी अवध के वजह से गोत्र भारद्वाज है , पुराना वंश- नाग वंश है। इसके बाद भारशिव वंश के नाम से जाने जाते थे।

राजभरों का राजा कौन था?

इसे सुनेंरोकेंमिरात-ए-मसूदी के मुताबिक, सुहेलदेव “भर थारू” समुदाय से संबंधित थे। बाद के लेखकों ने उनकी जाति को “भरू राजपूत”, राजभर, थारू और जैन राजपूत रूप में वर्णित किया है। 1940 में, बहराइच के एक स्थानीय स्कूली शिक्षक ने एक लंबी कविता की रचना की। उन्होंने सुहेलदेव को जैन राजा और हिंदू संस्कृति के उद्धारकर्ता के रूप में पेश किया।

राजभर जाति की उत्पत्ति कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंइस जाति में कई प्रतापी, शूरवीर और पराक्रमी राजाओं ने जन्म लिया है. जब शक (Saka) और हूण (Huns) जनजातियों ने उत्तर भारत पर आक्रमण करना शुरू किया, तो उनका सामना करने का हिम्मत किसी में नहीं था. ऐसे विकट और प्रतिकूल समय में राजभर जाति के लोग सामने आए.

भारद्वाज कौन सी जाति होती है?

इसे सुनेंरोकेंभारद्वाज एक भारतीय उपनाम है जो बरनवाल, ब्राह्मण का एक गोत्र हैं।

भर जाति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभर मुख्य रूप से छोटे किसानों का एक समुदाय है, जो अपनी आमदनी में बढ़ोत्तरी हेतु मजदूरी भी करते हैं। समान्यतः भर जाति के लोगों का भूमि स्वामित्व कम है। यह हिन्दू धर्म को मानते हैं तथा इनका सांस्कृतिक आचरण अवध क्षेत्र के अन्य हिन्दू समुदायों जैसा ही है। यह लोग अवधी व भोजपुरी भाषा बोलते हैं।

कुर्मी कौन सी जाति होती है?

इसे सुनेंरोकेंकुर्मी उत्तर भारत में पूर्वी गंगा के मैदान की एक हिंदू किसान जाति है जो सूर्यवंशी क्षत्रियभगवान राम के वंशज हैं। कुर्मी को भारत की मुख्य कृषि जाति के रूप में जाना जाता है।

भर जाति कौन सी है?

भारद्वाज का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारद्वाज नाम का मतलब – Bharadwaj ka arth आपको बता दें कि भारद्वाज का मतलब एक भाग्यशाली पक्षी, एक ऋषि होता है। एक भाग्यशाली पक्षी, एक ऋषि होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक भारद्वाज नाम के लोगों में भी दिखती है।

यादव जाति की उत्पत्ति कब हुई?

इसे सुनेंरोकेंयदुवंशियो की उत्पत्ति पौराणिक राजा यदु से मानी जाती है। वे टॉड की 36 राजवंशो की सूची में भी शामिल हैं। विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों और पुराने लेखों से संकेत मिलता है कि भारत में उनकी मौजूदगी 6000 ई. पू.