रवि की सवारी आने पर उसका गुणगान कौन कौन कर रहे हैं?

रवि की सवारी आने पर उसका गुणगान कौन कौन कर रहे हैं?

इसे सुनेंरोकेंविहग, बंदी और चारण गा रहे हैं कीर्ति-गायन छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फौज सारी आ रही रवि की सवारी! क. कीर्ति गायन कौन-कौन गा रहे हैं? उत्तर कीर्ति गायन पक्षी, भाट-चारण और बन्दी-गण गा रहे हैं।

रवि रूपी राजा का कृति गायक कौन रहे हैं?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: उत्तर – रवि की सवारी निकलने के पश्चात् प्रकृति उसका स्वागत राजा की तरह करती है । जिस प्रकार राजा निकलता है तो उसके जाने वाले पथ सजे रहते हैं , उसके चारों तरफ अनुचर पोशाक धारण कर उसका स्वागत करते हैं । बंदी और चारण के रूप में चिड़िया उनका कीर्ति ( यश ) गान करते हैं ।

सूरज के कीर्ति का गायन कौन कर रहा है और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 4: कीर्ति-गायन कौन गा रहे हैं? उत्तर: विहग, बंदी और चारण कीर्ति-गायन गा रहे हैं।

रवि की सवारी आने का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकें’आ रही रवि की सवारी’ इस नाम से ही पता चलता है कि किसी के जोर-शोर से आने की बात हो रही है। ‘रवि’ का अर्थ है सूरज या सूर्य। जिस तरह रात के अंधेरे को चीरकर सूर्य अपने अस्तित्व में आ ही जाता है, उसी तरह से हमें भी संकट रूपी अँधकार को तोड़कर अपनी ज़िम्मेदारी को निभाना चाहिए।

आ रही रवि की सवारी कविता में किसका चित्रण किया है?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत प्रश्न आ रही ‘रवि की सवारी’ नामक कविता से लिया गया है जिसके कवि हरिवंशराय बच्चन हैं। यहाँ पर कवि ने सूर्योदय के दृश्य का चित्रण किया है। रात के अँधेरे के बाद जब सूर्य का प्रकाश धरती पर पड़ता है तो आकाश से लेकर धरती तक दृश्य बड़ा ही आकर्षक होता है।

कलि कुसुम से पथ सजा है में कौन सा अलंकार है?

इसे सुनेंरोकेंउपरोक्त पंक्तियों में ‘अनुप्रास अलंकार’ है।

रवि को देखकर कौन भाग गया?

शब्द पर्यायवाची
रवि सूर्य, दिनकर
कुसुम पुष्प, सुमन
पथ रास्ता, मार्ग
विहग खग, पक्षी

आ रही है रवि की सवारी कविता का केंद्रीय भाव क्या है?

इसे सुनेंरोकेंयह विजय देखकर कवि ठिठक जाता है और सोचने पर विवश हो जाता है कि रात का राजा चन्द्रमा सूर्य के प्रकाश में भिखारी – सा प्रतीत होता है । प्रश्न 1. ‘ आ रही रवि की सवारी कविता का केंद्रीय भाव क्या है? उत्तर – कवि घोर निराशा से उबरता है तो उसके नये जीवन की शुरुआत होती है ।

मैदान को छोड़कर कौन भाग रहे हैं और क्यों?

इसे सुनेंरोकेंअर्थात जब सूर्य राजा की सवारी निकलती है, तब उसके रथ को सजा-संवार कर तैयार किया जाता है और इस रथ पर सूर्य रूपी राजा बैठकर आ रहा है। सूर्य की उदय हो रही किरणों को देखकर तारों की फौज मैदान छोड़कर भाग निकली है।

कविता आ रही रवि की सवारी में कवि हमें क्या संदेश देना चाह रहे हैं?

इसे सुनेंरोकेंप्रस्तुत प्रश्न आ रही ‘रवि की सवारी’ नामक कविता से लिया गया है जिसके कवि हरिवंशराय बच्चन हैं। यहाँ पर कवि ने सूर्य के प्रतीक के माध्यम से समय की परिवर्तनशीलता को दर्शाया है। कवि कहते हैं कि परिवर्तन इस संसार का अटल सत्य है।

राह में भिखारी बनकर कौन खड़ा है?

इसे सुनेंरोकेंरात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी! उपरोक्त पक्तियों में महाकवि बच्चन ने प्रकृति के स्वरूप का चित्रण करते हुए अपने हृदय के उदगारों को भी प्रकट किया है। इन पंक्तियों में कवि ने ‘विजयोल्लास’ भाव का चित्रण करते हुए हृदय की प्रसन्नता को प्रकट किया है।

मैदान छोड़कर कौन भाग निकला?

इसे सुनेंरोकें3. मैदान छोड़कर तारों का समूह भाग गया है। 4. राह में चंद्रमा भिखारी बनकर खड़ा है।