तुलसी एकादशी कब है 2021?

तुलसी एकादशी कब है 2021?

इसे सुनेंरोकेंपंचांग के अनुसार देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर को है और तुलसी विवाह का आयोजन 15 नवंबर (सोमवार) को किया जाएगा. 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट एकादशी तिथि समाप्त होगी और द्वादशी तिथि आरंभ होगी. इसलिए तुलसी विवाह 15 नवंबर को द्वादशी की उदयातिथि में किया जाएगा. 15 नवंबर 2021: दोपहर 1 बजकर 02 मिनट से दोपहर 2 बजकर 44 मिनट तक.

तुलसी के पति कौन है?

इसे सुनेंरोकेंतुलसी (पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी, जिसका नाम वृंदा था। राक्षस कुल में जन्मी यह बच्ची बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी। जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में ही दानव राज जलंधर से संपन्न हुआ। राक्षस जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था।

तुलसी कौन सी एकादशी को लगाई जाती है?

इसे सुनेंरोकेंइसी वजह से देवउठानी एकादशी के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का आयोजन काफी धूमधाम के साथ करवाया जाता है. माता तुलसी प्रत्येक एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के लिए निर्जल व्रत करती हैं.

तुलसी में जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंशास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए. इतना ही नहीं, इस दिन इन्हें छूना भी मना होता है.

देव उठानी एकादशी तुलसी विवाह कब है?

इसे सुनेंरोकेंहिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इसे देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021, दिन सोमवार को है।

देव उठनी एकादशी कब है 2021?

इसे सुनेंरोकेंकार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। देवउठनी एकादशी तिथि का प्रारंभ- 14 नवंबर 2021 को सुबह 05.48 मिनट से होगा और सोमवार, 15 नवंबर 2021 को सुबह 06.39 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा।

तुलसी जी को जल कैसे चढ़ाया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंजल हमेशा तुलसी जी की जड़ में ही देना चाहिए। और तुलसी जी में जल चढ़ाते हुए तुलसी के पौधे की तीन बार परिक्रमा जरुर करें। सबसे पहले आप तुलसी की जड़ में जी चढ़ाएं और फिर एक बार परिक्रमा करें।

तुलसी माता को जल देते समय कौन सा मंत्र बोलें?

इसे सुनेंरोकेंतुलसी पौधे को जल चढ़ाते हुए यह विशेष मंत्र बोला जाए तो समृद्धि का वरदान 1000 गुना बढ़ जाता है। रोग, शोक, बीमारी-व्याधि आदि से छुटकारा मिलता है। आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।