ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए मुगल बादशाह अकबर द्वारा व्यवस्था अर्थ दिए गए गांव की संख्या है?

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए मुगल बादशाह अकबर द्वारा व्यवस्था अर्थ दिए गए गांव की संख्या है?

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खादिम भील पूर्वजों के वंसज है। इन्हें हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी जाना जाता है।…

मोइनुद्दीन चिश्ती
जन्म 1 फरवरी 1143 CE सिस्तान or इस्फ़हान region
निधन 15 मार्च 1236 CE अजमेर, राजस्थान, भारत
शांतचित्त स्थान Ajmer Sharif Dargah
धार्मिक जीवनकाल

ख्वाजा गरीब नवाज का पूरा नाम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइसी कड़ी में आज आपको बता रहे हैं गरीब नवाज ख्वाजा मुइनुद्दीन हसन चिश्ती के बारे में। अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज का पूरा जीवन निर्धन लोगों की सेवा और खुदा की इबादत में गुजरा।

अकबर ने अजमेर दरगाह को कितने गांव दिए?

इसे सुनेंरोकेंबड़ी देग बादशाह अकबर ने 1567 ईस्वी में भेंट की थी। उस वक्त 18 गांव भी दरगाह को दान में दिए थे, जिनकी आय से लंगर बनता था। इस देग में करीब एक सौ मन चावल पकाया जा सकता है।

ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की मौत कैसे हुई?

15 मार्च 1236ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती / मृत्यु तारीख

अजमेर में कौन से बाबा है?

इसे सुनेंरोकेंमहान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह सिर्फ इस्लामी प्रचार का केंद्र नहीं बनी, बल्कि यहां से हर मजहब के लोगों को आपसी प्रेम का संदेश मिला है।

अकबर की दरगाह?

इसे सुनेंरोकेंडिजिटल डेस्क, अजमेर। अजमेर शरीफ या दरगाह भारत में राजस्थान स्टेट के अजमेर में स्थित प्रसिद्ध सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है, जिसमें उनका मकबरा स्थित है। यह एक ऐसा स्थान है जहां हर धर्म के लोग अपनी मुराद लेकर माथा टेकने आते हैं।

अकबर और मोइनुद्दीन चिश्ती?

इसे सुनेंरोकेंजहांगीर के जन्म के बाद अकबर 1570 में पैदल चलकर अजमेर गया और वहां कई दिन बिताए। कहा जाता है कि अकबर ने आगरा से 437 किलोमीटर पैदल चलकर ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पहुंचा था। 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा था, उन्होंने अपनी मौत से पहले खुद को घर के अंदर बंद कर लिया था।

अकबर ने अजमेर की यात्रा कितनी बार की?

इसे सुनेंरोकेंअकबर एक बार पुनः ख्वाजा को धन्यवाद देने के लिये 20 जनवरी 1570 को आगरा से पैदल ही चल पड़ा। वह अपनी यात्रा के 16वें दिन 5 फरवरी 1570 को अजमेर पहुँचा। उसे अजमेर पहुँचने की शीघ्रता इसलिये भी थी क्योंकि वह ख्वाजा के वार्षिक समारोह में सम्मिलित होना चाहता था। अकबर 10 से 12 मील प्रतिदिन पैदल चला।