बद्ु धि पर मार के सबं धं मेंलेखक के क्या वि चार है?

बद्ु धि पर मार के सबं धं मेंलेखक के क्या वि चार है?

इसे सुनेंरोकें’बुद्धि पर मार’ का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए 1 आज धर्म के नाम पर क्या क्या हो रहा है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर:- आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे-फसाद किए जाते हैं और नाना प्रकार के उत्पात किए जाते हैं।

धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

इसे सुनेंरोकेंधर्म के दो स्पष्ट चिह्न हैं-शुद्ध आचरण और सदाचार।

ईश्वर को रिश्वत कैसे दी जाती है?

इसे सुनेंरोकेंकुछ लोग घंटे-दो घंटे पूजा करके, शंख और घंटे बजाकर, रोजे रखकर, नमाज पढ़कर ईश्वर को रिश्वत देने का प्रयास इसलिए करते हैं, ताकि लोगों की दृष्टि में धार्मिक होने का भ्रम फैला सकें। ऐसा करने के बाद वे अपने आपको दिन भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझने लगते हैं।

वृद्धि की मार से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकें’बुद्धि की मार’ से लेखक का यह आशय है कि एक साधारण व्यक्ति को धर्म के तत्वों का वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। वह उससे अनभिज्ञ होता है । वह तो अपने धर्माचार्यों द्वारा बताए हुए नियमों तथा परंपराओं के अनुसार व्यवहार करता रहता है।

एक फूल की चाह कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इसे सुनेंरोकेंमित्र इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें धर्म, जाति और रंग आदि के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। ईश्वर ने सबको समान बनाया है। अतः हमें सबके साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए।

हमारे देश में धर्म के नाम पर क्या हो रहा है?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: 1.) आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है? उत्तर:- आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे-फसाद किए जाते हैं और नाना प्रकार के उत्पात किए जाते हैं।

ईश्वर अपवित्र काम करने वालों से क्या कहेगा?

इसे सुनेंरोकेंईश्वर इन नास्तिकों और ला-मज़हब लोगों को अधिक प्यार करेगा, और वह अपने पवित्र नाम पर अपवित्र काम करने वालों से यही कहना पसंद करेगा, मुझे मानो या न मानो, तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!