पेट की आग बुझाने के लिए लोग क्या क्या करते थे?

पेट की आग बुझाने के लिए लोग क्या क्या करते थे?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर: जब पेट में आग जलती है तो उसे बुझाने के लिए व्यक्ति हर तरह का उलटा अथवा बुरा कार्य करता है, किंतु यदि वह ईश्वर का नाम जप ले तो उसकी अग्नि का शमन हो सकता है क्योंकि ईश्वर की कृपा से वह सब कुछ प्राप्त कर सकता है। तुलसी का यह काव्य सत्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस समय था।

राम को लक्ष्मण के बिना अयोध्या जाने में क्या सहना पड़ेगा?

इसे सुनेंरोकें(i) वे राम को दुखी नहीं देख सकते थे। (ii) उनका स्वभाव कोमल था। (iii) उन्होंने माता-पिता को छोड़कर उनके लिए वन के कष्ट सहे। (ग) लक्ष्मण ने राम के लिए अपने माता-पिता को ही नहीं, अयोध्या का सुख-वैभव त्याग दिया।

पेट भरने के लिए लोग क्या क्या करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: पेट भरने के लिए लोग छोटे-बड़े कार्य करते हैं तथा धर्म-अधर्म का विचार नहीं करते। पेट के लिए वे अपने बेटा-बेटी को भी बेचने को विवश हैं। तुलसीदास कहते हैं कि अब ऐसी आग भगवान राम रूपी बादल से ही बुझ सकती है, क्योंकि पेट की आग तो समुद्र की आग से भी भयंकर है।

लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप कविता में हनुमान व भरत में क्या समानता थी?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: हम इस कथन से बिलकुल सहमत है कि प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। राम अपने भाई की दशा देखकर एक साधारण मनुष्य की भांति विलाप करते हैं। वे प्रभु की तरह लीला नहीं रचते बल्कि एक बड़े भाई की तरह छोटे भाई के प्रेम में विहल हो उठते हैं।

लक्ष्मण के मूर्छित होने पर सामान्य मनुष्य की तरह कौन विलाप करने लगता है?

इसे सुनेंरोकेंमेघनाथ अपनी मायावी शक्ति के प्रयोग से लक्ष्मण को मूर्छित कर देते हैं।

विलाप में मूल शब्द क्या है?

इसे सुनेंरोकेंविलाप संस्कृत मूल का शब्द है।

तुलसीदास के अनुसार लोग अच्छे बुरे कार्य करते हैं क्योंकि?

इसे सुनेंरोकेंतुलसीदास जी कहते हैं कि बेकारी के कारण लोगों की दशा बहुत बुरी है। लोग अच्छे-बुरे काम करने को विवश हैं, वे अधर्म करने से भी नहीं चूकते हैं, पेट की आग से विवश होकर वे अपनी संतानों को तक बेच देते हैं। भाव यह है कि बेकारी ने लोगों को हर प्रकार के काम करने लिए मजबूर कर दिया है।

कवितावली उत्तरकांड से में कौन सा छंद है?

इसे सुनेंरोकेंयह वर्णिक सम छंद होता है। 2. इसके प्रत्येक चरण में 22 से लेकर 26 तक वर्ण होते हैं। धूत कहो, अवधूत कहों, रजपूतु कहीं, जोलहा कहों कोऊ।