उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ मधुर?
इसे सुनेंरोकेंकवि यह कहना चाहता है कि अपनी प्रेयसी के साथ बिताए गए क्षणों को वह सबके सामने कैसे प्रकट करे। जीवन के कुछ अनुभवों को गोपनीय रखना ही उचित होता है। ऐसी स्मृतियों को वह सबके सामने प्रस्तुत कर अपनी हँसी नहीं उड़ाना चाहता है। अत: वह अपने जीवन की मधुर स्मृतियों को अपने तक ही सीमित रखना चाहता है।
अनंत नीलिमा से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंइस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास तब भी कहते हो – कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती । तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती ।
मुरझाकर गिर रही पत्तियां देखो कितनी आज घनी?
इसे सुनेंरोकेंमुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी। तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती। तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीती। अर्थ – इस कविता में कवि ने अपने अपनी आत्मकथा न लिखने के कारणों को बताया है।
कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?
इसे सुनेंरोकेंकवि स्वयं को इतना सामान्य मानता है कि आत्मकथा लिखकर वह खुद को विशेष नहीं बनाना चाहता है, कवि अपने व्यक्तिगत अनुभवों को दुनिया के समक्ष व्यक्त नहीं करना चाहता। क्योंकि वह अपने व्यक्तिगत जीवन को उपहास का कारण नहीं बनाना चाहता। इन्हीं कारणों से कवि आत्मकथा लिखने से बचना चाहता है।
मधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी?
इसे सुनेंरोकेंमधुप गुनगुनाकर कह जाता / जयशंकर प्रसाद
मुरझा कर गिर रही पत्तियां किसका प्रतीक है?
इसे सुनेंरोकेंSolution. ‘मुरझाकर गिरने वाली पत्तियाँ’ मानव जीवन में आए दुख और निराशाओं की प्रतीक हैं। कवि के जीवन में आए दुख वृक्ष की पत्तियों के समान गिरकर, एक-एक कर क्रमशः याद आ रहे हैं। इससे कवि को जीवन की नश्वरता का बोध भी हो रही है।
मुरझा कर क्या गिर रहा है?
इसे सुनेंरोकेंमुरझाकर गिरती ‘पत्तियाँ’ नश्वरता की प्रतीक हैं। कवि ने अपनी इस कविता में ‘अनंत-नीलिमा’, ‘गागर रीति’, ‘उज्ज्वल गाथा’, ‘चांदनी रातों की’, ‘अनुरागिनी उषा’, ‘स्मृति पाथेय’, ‘थके पथिक’, ‘सीवन को उधेड़’, ‘कंथा’ आदि प्रतीकात्मक शब्दो, का सहज-सुंदर प्रयोग किया है।
आत्मकथा कविता में कौन सा गुड विद्वान है?
इसे सुनेंरोकेंकाव्य गुण कौन-सा विद्यमान है? प्रसाद गुण विद्यमान है। कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं।